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यूपी में पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी, 4 हजार से अधिक मामलों में दर्ज की गई गिरावट

By: Ajeet Singh

• LAST UPDATED : December 8, 2024, 8:39 pm IST
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यूपी में पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी, 4 हजार से अधिक मामलों में दर्ज की गई गिरावट

India News (इंडिया न्यूज), Yogi Government: कृषि और पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र में योगी सरकार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। योगी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि पिछले सात सालों में प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से कमी आई है। वर्ष 2017 में जहां प्रदेश में पराली जलाने के 8,784 मामले दर्ज हुए थे, वहीं वर्ष 2023 में सिर्फ 3,996 मामले ही सामने आए हैं। पिछले सात सालों पर नजर डालें तो पराली जलाने के मामलों में 4,788 की कमी दर्ज की गई है। योगी सरकार की नीतियों के जरिए प्रदेश के किसान पराली जलाने की बजाय उससे अपनी आय बढ़ा रहे हैं। इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सुधार हुआ है।

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शत-प्रतिशत पराली का किया जा रहा निस्तारण

हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने पराली प्रबंधन को लेकर समीक्षा बैठक की थी। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में हर साल करीब 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली पैदा होती है। इसमें से 34.44 लाख मीट्रिक टन का इस्तेमाल चारे के रूप में और 16.78 लाख मीट्रिक टन का अन्य कार्यों में किया जा रहा है। इसी तरह 1.58 करोड़ मीट्रिक टन पराली का इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के जरिए निस्तारण किया जा रहा है। यही वजह है कि योगी सरकार द्वारा अपनाए गए सटीक प्रबंधन के चलते पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट आई है। इससे प्रदेश में प्रदूषण भी कम हुआ है। इससे न सिर्फ पर्यावरण को फायदा हो रहा है बल्कि किसानों को पराली के अवशेषों के औद्योगिक और घरेलू उपयोग के जरिए आय के नए स्रोत भी उपलब्ध हो रहे हैं।

फतेहपुर में पराली जलाने के सबसे कम 111 मामले आए सामने

पराली को औद्योगिक रूप से उपयोगी बनाने की योगी सरकार की पहल ने औद्योगिक और घरेलू उत्पादों में धान की पराली का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर पैदा किए हैं। इसके अलावा जैविक खेती को बढ़ावा देने और एलसीवी (लीफ कम पोस्ट वेस्ट) के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ। इससे किसानों की आय बढ़ी और उन्हें नए बाजारों में प्रवेश का मौका मिला। वहीं, पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने में कई जिलों ने अहम भूमिका निभाई है। इनमें सबसे कम घटनाएं महाराजगंज में 468, झांसी में 151, कुशीनगर में 118 और फतेहपुर में 111 दर्ज की गईं।

बेहतर प्रबंधन और जागरूकता अभियान के जरिए इन जिलों ने शानदार प्रदर्शन किया है। बता दें कि साढ़े सात साल पहले लंबे समय तक पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनी रही प्रदेश में पराली जलाने की समस्या आज पूरी तरह नियंत्रण में है। फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने के मुख्यमंत्री योगी सरकार के प्रयासों से प्रदूषण के स्तर में कमी आई है।

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