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India News (इंडिया न्यूज),INDIA bloc: अब तक अडानी मामले को विपक्ष अलग थलग पड़ा हुआ था, इस मामले में टीएमसी और सपा प्रोटेस्ट से दूरी बना ली थी, लेकिन, जॉर्ज सोरेस और अडानी मामले को लेकर उच्च सदन के अंदर हंगामे की वजह से सदन स्थगित हो रहा है। अब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर INDIA ब्लॉक एकजुट हो गया है। विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने हस्ताक्षर कर राज्यसभा के महासचिव को अविश्वास प्रस्ताव की कॉपी सौंप दी है।
वैसे ऐसा पहली बार भारतीय संसदीय राजनीति के इतिहास में होगा जब राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो। इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
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राज्यसभा के सभापति यानी उपराष्ट्रपति के हटाने के नियम:-
वाइस प्रेसीडेंट राज्यसभा का सभापति होता है जिसके ऊपर सदन को बिना पक्षपात के नियम के मुताबिक चलाने की जिम्मेदारी होती है। राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब सबसे पहले भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाय । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं । संविधान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनके पद से हटाया जा सकता है। हालांकि , प्रस्ताव पेश करने के बारे में 14 दिन का नोटिस देना ज़रूरी है।
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में जिक्र है कि उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिये उसके पद से हटाया जा सकता है। लेकिन, कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि कम से कम चौदह दिनों का नोटिस नहीं दिया गया हो, जिसमें यह बताया गया हो ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है।
दरअसल ,उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ ऐसे प्रस्ताव पेश करने की चर्चा और प्कोशिश पहले भी हुए हैं, लेकिन वो सफल नहीं हो पाया है।
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