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India News (इंडिया न्यूज), Pakadaua Vivaah: बिहार का बेगूसराय जिला, जिसे पकड़ौआ विवाह की जननी माना जाता है, एक बार फिर इस विवादित प्रथा को लेकर चर्चा में आ गया है। हाल ही में मुफस्सिल थाना क्षेत्र के जिनेंदपुर पंचायत में एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां एक शिक्षक की जबरन शादी करवा दी गई। इस घटना ने क्षेत्र में सनसनी मचा दी है और इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
घटना के अनुसार, बीपीएससी शिक्षक अवनीश, जो सदर प्रखंड के रजौड़ा सिकंदरपुर गांव का रहने वाला है, का एक एएनएम की ट्रेनिंग कर रही युवती के साथ चार साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती का आरोप है कि अवनीश ने उसे कई बार होटल और अन्य जगहों पर बुलाया, जहां वे साथ समय बिताते थे। लेकिन जब अवनीश की शिक्षक के रूप में नियुक्ति हुई, तो उसने शादी से इनकार कर दिया।
पिछले 10 दिनों में यह विवाद गहराया, जब अवनीश ने युवती को अपने स्कूल बुलाकर शादी न करने की बात कही। लेकिन जब बीती शाम वह युवती से मिलने पहुंचा, तो ग्रामीणों ने उसे पकड़ लिया और स्थानीय मंदिर में जबरन शादी करवा दी।
ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम उठाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि युवक ने शादी से इनकार किया था, जबकि दोनों के बीच लंबे समय से संबंध थे। हालांकि, इस मामले में किसी भी पक्ष ने अब तक पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
बेगूसराय 1980 के दशक में पकड़ौआ विवाह के लिए बदनाम था। उस समय बड़ी संख्या में युवकों को जबरन शादी के लिए मजबूर किया जाता था। हालांकि, समय के साथ यह प्रथा खत्म होती दिखी थी। लेकिन हाल ही में बड़ी संख्या में सरकारी शिक्षकों की बहाली के बाद इस प्रथा ने एक बार फिर सिर उठा लिया है।
पकड़ौआ विवाह जैसी घटनाएं सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर सवाल उठाती हैं। जहां एक तरफ यह प्रथा महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा की दृष्टि से चिंता का विषय है, वहीं दूसरी तरफ पुरुषों के साथ भी अन्याय करती है।
इस मामले में युवती के परिजन अपने कदम को सही ठहराते हुए कहते हैं कि यह शादी अवनीश के वादाखिलाफी के कारण हुई है। वहीं, अवनीश और उसके परिजन इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
पकड़ौआ विवाह भारतीय कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करता है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर करता है।
बेगूसराय में पकड़ौआ विवाह का यह ताजा मामला न केवल पुराने दौर की याद दिलाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में आज भी ऐसी प्रथाएं पूरी तरह समाप्त नहीं हुई हैं। यह घटना एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता की कितनी आवश्यकता है।
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