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Nirbhaya Case: 12 साल पहले निर्भय केस से कांप उठी थी दिल्लीवासियों की रूह, मां बोलीं- आज भी बेटियां सुरक्षित नहीं

BY: Prakhar Tiwari • LAST UPDATED : December 16, 2024, 4:34 pm IST
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Nirbhaya Case: 12 साल पहले निर्भय केस से कांप उठी थी दिल्लीवासियों की रूह, मां बोलीं- आज भी बेटियां सुरक्षित नहीं

India News (इंडिया न्यूज),Nirbhaya Case: 16 दिसंबर 2012 की वो रात, जिसने दिल्ली के लोगों के होश उड़ा दिए। निर्भय कांड को आज पूरे 12 साल हो चुके हैं। इस एक केस ने दिल्ली समेत देशभर के देशभर के लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया था। 12 साल पूरे होने पर निर्भया की मां आशा देवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए हम लोगों को आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

12 साल हो चुके हैं

निर्भया की मां ने एक निजी मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज निर्भया केस को पूरे 12 साल हो चुके हैं, लेकिन स्थिति वैसी की वैसी ही बनी हुई हुई। बहुत दुख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि हमें खुद अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए 7-8 साल संघर्ष किया है। मगर हालातों में कोई बदलाव नहीं आया और हालात अब और भी ज्यादा बदतर हो चुके हैं। दूर तक कोई उम्मीद नहीं किसी को इंसाफ मिलने की।

बच्चियां अब सुरक्षित नहीं

आशा देवी ने मीडिया से कहा कि अब तो 2 से 4 दिन धरना प्रदर्शन होता है और मामला खत्म हो जाता है और बेहद ही दुख के साथ कहना पड़ता है कि अब कोई उम्मीद नहीं है और हमारे देश की बच्चियां अब सुरक्षित नहीं होंगी। आने वाले समय में उनका क्या भविष्य है वो किस समाज में रह रही हैं और समाज कहा जा रहा है।

सुधार लाने की  जरूरत

आशा देवी ने आगे कहा कि 12 साल हो गए हैं, लेकिन निर्भय को वक्त रहते इंसाफ मिल गया और दोषियों को उनकी गुनाहों की सजा मिल गई. इससे पहले ही कई घटना सामने आई और अब भी हो रही है। लेकिन मुझे नहीं लगता किसी को अब तो कोई इंसाफ मिला होगा। जो आरोपी पकड़े जाते हैं वो कोई न कोई रास्ता निकालकर बाहर आ जाते हैं और बाहर आकर फिर से उसी घटना को अंजाम देते हैं। सबसे पहले हमारे समाज में और हमारे सिस्टम में सुधार लाने की काफी जरूरत है।

ये है पूरी घटना

आपको बता दें कि आज से 12 साल पहले 16 दिसंबर रविवार की रात को एक 23 साल की छात्रा के साथ चलती बस में 6 लोगों ने सामूहिक बलात्कार को अंजाम दिया. 12 दिसंबर की रात को दिल्ली की सड़कों पर जो हिंसा हुई उसने हिंसा की पूरी परिभाषा को बदलकर ही रख दिया। छात्रा अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर घर वापस लौट रही था।

6 लोग सवार थे

घर जाने के लिए वो और उसका दोस्त एक चार्टर्ड बस में सवार हो गए. उस बस में पहले से ही 6 लोग सवार थे, जिसमें एक नाबालिग लड़का भी था. कुछ दूर बस चलने के बाद बस में पहले से मौजुद लोगों ने चलती बस में छात्रा और उसके साथी पर हमला कर दिया। इसके बाद एक-एक करके सभी आरोपियों ने छात्रा के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार को अंजाम दिया।

चलती बस से फेंक दिया

इतना ही नहीं, जब आरोपियों का इससे भी मन नहीं भरा तो उन्होंने लोहे की रॉड से छात्रा के साथ मारपीट की। इस दौरान छात्रा के दोस्त ने उसे बचाने की कोशिश की तो आरोपियों ने उसके साथ भी लोहे की रॉड से मारपीट की. इस पूरी घटना के दौरान बस दिल्ली की सड़कों पर घूमती रही। इस पूरी वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपियों ने चलती बस से छात्रा और उसके साथी को दिसंबर की कड़ाके की ठंड में नग्न अवस्था में चलती बस से फेंक दिया।

फांसी की सजा दी गई

इस घटना के सामने आते ही दिल्ली समेत देशभर में लोगों की रूह तक कांप उठी और चारों तरफ प्रदर्शन शुरू हो गया, लेकिन जख्मी हालत में छात्रा ने अपने दोषियों को पहचान लिया. इसके बाद ही इस केस को निर्भय का नाम दिया गया। निर्भय को इंसाफ दिलाने में 7 साल का लंबा वक्त लगा और आखिरकार 20 मार्च, 2020 को निर्भय के आरोपियों को फांसी की सजा दी गई।

आसान नहीं था

बता दें कि यह सफर निर्भय की मां आशा देवी के लिए बिलकुल भी आसान नहीं था। निर्भय की मां को इस दौरान कई कठिन कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. इसके बाद ही उनको और उनकी मृतक बेटी को इंसाफ मिल पाया।

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