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विधानसभा लोकतंत्र का पवित्र मंदिर, दर्शक दीर्घा इसका फर्स्ट इंप्रेशनः CM योगी आदित्यनाथ

By: Ajeet Singh

• LAST UPDATED : December 16, 2024, 4:48 pm IST
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विधानसभा लोकतंत्र का पवित्र मंदिर, दर्शक दीर्घा इसका फर्स्ट इंप्रेशनः CM योगी आदित्यनाथ

India News (इंडिया न्यूज) CM Yogi Adityanath: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा की नवीनीकृत दर्शक दीर्घा का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने इसे सभी विधानसभा सदस्यों और प्रदेश की 25 करोड़ जनता को समर्पित करते हुए कहा कि विधानसभा प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए लोकतंत्र का आधार है। यह लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है। जब कोई इस पवित्र मंदिर में आता है तो उसकी पहली छाप यहां की दर्शक दीर्घा से पड़नी चाहिए। यह सत्ता पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के लिए भी खुशी का क्षण होना चाहिए, क्योंकि दर्शक दीर्घा के सुंदरीकरण का यह कार्यक्रम आप सभी की संस्तुति पर संपन्न हुआ है।

दर्शक दीर्घा के उद्घाटन के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मुख्यमंत्री समेत मंच पर मौजूद सभी मंत्रियों और विपक्षी नेताओं को संविधान की मूल प्रति भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विधानसभा द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों का विमोचन भी किया। इन पुस्तकों में देश की आजादी से लेकर अब तक के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी नेताओं के बारे में पूरी जानकारी है।

लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के साथ ही आधुनिकता से भी जुड़ी विधायिका

सीएम योगी ने कहा कि लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में विधायिका का महत्वपूर्ण स्थान है। विधायिका एक तरह से मार्गदर्शक होती है। सभी माननीय सदस्य विधायिका से न केवल जुड़ते हैं, बल्कि यह उन्हें विकास और जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए एक मंच भी प्रदान करती है। इस अवसर पर मैं विधानसभा अध्यक्ष को भी बधाई दूंगा, जिन्होंने अपने सवा तीन साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा को न केवल लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ के रूप में, बल्कि आधुनिकता से भी जोड़ने का काम किया है।

यह गौरव देश की सबसे बड़ी विधानसभा को जाता है, जिसने ई-विधान को लागू किया है। आज आप अपने सामने देख सकते हैं कि ई-विधान को किस तरह सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा पेपरलेस होकर इसका उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। यह न केवल विधानसभा के लिए, बल्कि हम सभी के लिए और 25 करोड़ की आबादी के लिए भी गौरव का क्षण था। इसके साथ ही आपने यह भी देखा कि विधानसभा के गलियारे का किस तरह से सौंदर्यीकरण किया जाना चाहिए।

1952 की नियमावली में संशोधन कर उसे लागू किया गया

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की नियमावली जो 1952 में प्रथम विधान सभा के गठन के तत्काल बाद लागू की गई थी, ज्यों की त्यों पड़ी हुई थी। समय के अनुसार मांग के आलोक में उसमें आवश्यक संशोधन नहीं हो सके। इस अवधि में यह कार्य भी सफलतापूर्वक पूरा हुआ है। प्रश्नकाल के दौरान हम देखते हैं कि मंत्रियों से दो सदस्य नहीं, बल्कि 20-20 प्रश्न पूछे जा सकते हैं और उन्हें यहां तत्काल उत्तर मिल जाता है।

यही सच्चा लोकतंत्र है जब एक माननीय सदस्य संबंधित विभाग के मंत्री से संबंधित प्रश्नों का उत्तर प्राप्त कर जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने का माध्यम बनता है। यह तभी संभव हो पाया जब हमने विधान सभा की नियमावली में संशोधन कर उसे समय से लागू किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा में अपनी रुचि के अनुसार विषय उठाने का मामला हो या एक दिन केवल महिला सदस्यों को चर्चा करने की अनुमति देने का निर्णय, यह सब इस सदन ने देखा है।

विधायिका सशक्त लोकतंत्र का माध्यम

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 1952 से अब तक सदन का नेता और विपक्ष का नेता कौन रहा, इससे संबंधित एक प्रकाशन विधानसभा के शोध पुस्तकालय के माध्यम से प्रकाशित हुआ है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री के रूप में किन महापुरुषों ने सदन की गरिमा को बढ़ाया, इसके विकास के लिए किन मुद्दों को छुआ और विकास को निरंतरता देने में किस तरह योगदान दिया। लोकतंत्र और विधानमंडल में काम का आधार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों हैं, ये लोकतंत्र के दो पहिये हैं।

जब दोनों मिलकर काम करते हैं तो मजबूत लोकतंत्र को जन्म देते हैं। इसका मजबूत माध्यम संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श है। मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संवाद को बाधित नहीं किया जा सकता, बल्कि संवाद के माध्यम से उस समस्या का समाधान निकाला जाएगा। मैं चाहूंगा कि आप में से हर माननीय सदस्य इसे अपने पास रखें, ज्ञान के लिए भी और आने वाली पीढ़ी को विरासत के रूप में भी दें।

संविधान की मूल प्रति से मिलती है भारत की झलक

सीएम योगी ने कहा कि मौजूदा सत्र के पहले सत्र से पहले विधानसभा अध्यक्ष ने एक और तोहफा दिया है। यह वर्ष भारत के संविधान के लागू होने के 75 वर्ष पूरे होने की ओर अग्रसर है। 26 जनवरी 2025 को भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे और मैं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान की प्रारूप समिति की एक मूल प्रति उपलब्ध कराई जाए। आप इसे अवश्य पढ़ें, इसका प्रत्येक पृष्ठ वास्तव में भारत की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, भारत की झलक देता है।

इस अवसर पर मंच पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय मौजूद रहे।

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