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प्रयागराज महाकुम्भ में संयम, साधना और तप की त्रिवेणी का साक्षी बनेगा कल्पवास

By: Ajeet Singh

• LAST UPDATED : December 17, 2024, 7:54 pm IST
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प्रयागराज महाकुम्भ में संयम, साधना और तप  की त्रिवेणी का साक्षी बनेगा कल्पवास

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India News (इंडिया न्यूज), UP News:  उत्तर प्रदेश के   प्रयागराज के संगम तट में लगे आस्था के सबसे बड़े  सांस्कृतिक और  धार्मिक समागम में तप, साधना और संयम की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है।  यह भक्ति और अध्यात्म की त्रिधारा है कल्पवास जिसकी शुरुआत पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ होगी । प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुम्भ में कल्पवासियों के लिए भी विशेष इंतजाम किए हैं।

महाकुंभ में 7 लाख से अधिक कल्पवासियों से..
महाकुम्भ दुनिया का सबसे बड़ा अध्यात्म और संस्कृति का  आयोजन है। यहां ज्ञान, भक्ति और साधना के कई रंग दिखते हैं। वहीं महाकुम्भ में अखाड़ों के वैभव के अतिरिक्त यहां कल्पवासियों की जप, तप और संयम की त्रिवेणी भी प्रवाहित होती है। पौष पूर्णिमा से पूरे एक महीने तक गंगा और यमुना की रेत पर तंबुओं के शिविर बनाकर ठिठुरती ठंड में साधना करने वाले की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। एडीएम महाकुम्भ विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक  इस बार लगभग सात लाख कल्पवासियों के लिए प्रशासन ने व्यवस्था की है। कल्पवासी की उम्र और अवस्था को देखते हुए इन्हें बसाया जा रहा है। मेला के विभिन्न सेक्टर्स में लगभग 900 बीघे में इन्हें बसाया जा रहा है।मूल रूप से मेला क्षेत्र में कल्पवास करने वाले इन श्रद्धालुओं को गंगा के तटों के पास ही व्यवस्था तंबुओं की की गई थी, जिससे सुबह प्रतिदिन इन्हें गंगा स्नान के लिए दूर तक न चलना पड़े।

कल्पवासियों के शिविर में स्वच्छता पर प्राथमिकता
योगी सरकार प्रयागराज महाकुम्भ को दिव्य ,भव्य और स्वच्छ स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए संपूर्ण मेला क्षेत्र में स्वच्छता के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। एसडीएम मेला अभिनव पाठक के मुताबिक विभिन्न सेक्टर में बस रहे कल्पवासियों के शिविर में भी स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है। कल्पवासियों के शिविर में कलर कोडेड डस्टबिन रखे जाएंगे। सूखे कूड़े के लिए अलग और गीले कूड़े के लिए अलग डस्टबिन होंगे। गंगा किनारे किसी तरह का कूड़ा जमा न हो पाए, इसलिए वहां भी डस्टबिन रखे जायेगें। कल्पवासियों से भी अपील की जाएगी कि वह सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल शिविर में न करे। इसके लिए सभी शिविरों के बाहर पोस्टर भी लगाए जाएंगे।

कल्पवासियों के शिविरों में अलाव की व्यवस्था
माघ के जिस महीने में ये कल्पवासी गंगा के तट पर कल्पवास करते हैं, वह समय कड़ाके की ठंड का होता है। बुजुर्ग कल्पवासियों के लिए शीत लहरी से बचाव हो इसके लिए भी प्रशासन कई कदम उठा रहा है। अभिनव पाठक बताते हैं कि प्रशासन कल्पवासियों के शिविर के बाहर अलाव जलाने की व्यवस्था करेगा ताकि शीत लहरी से कल्पवासियों का बचाव हो सके।

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