संबंधित खबरें
अमित शाह के बयान के बाद पूरे विपक्ष को लगी मिर्ची, ममता की पार्टी ने गृह मंत्री के खिलाफ उठाया ये कदम, पूरा मामला जान तिलमिला उठेंगे भाजपाई
गेटवे ऑफ इंडिया के पास बड़ा हादसा, नेवी की स्पीड बोट से टकराई नाव, बचाव अभियान जारी…अब तक 13 की मौत
वैष्णो देवी जाने वाले भक्तों को लगा बड़ा झटका! अब नहीं कर सकेंगे ये काम
सदन में उनका रौद्र रूप में आए सतीश महाना, मार्शल से कहा-अतुल प्रधान को उठाकर बाहर फेंक…
Exclusive Interview: PM Modi के 10 सालों में कितना बदल गया भारत? MP Kartikeya Sharma ने बताया विदेशों में कैसे बढ़ी इंडिया की शान
80 लोगों को ले जा रही नाव हुई तबाह,पानी के अंदर अपनी सांसें गिनते रहे लोग, फिर…
India News (इंडिया न्यूज), Modi Government: केंद्र की मोदी सरकार ने पहले वक्फ बिल और अब वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश किया था। जिसको लेकर सदन में विपक्ष के भारी हंगामे के बाद इन दोनों बिलों को जेपीसी में भेजना पड़ा। इसके पीछे की वजह क्या है? आखिर ऐसा क्या हुआ कि दो कार्यकाल में अपने दम पर किसी भी बिल को कानून में तब्दील करने वाली भाजपा अब जेपीसी का सहारा क्यों ले रही है? आज हम इनके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश करेंगे। मोदी सरकार ने संसद में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से जुड़ा विधेयक पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024’ पेश किया, जिसे कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने विधेयक में खामियां बताते हुए संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है।
वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लेकर जब विपक्षी पार्टी ने विरोध जताया तो अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का प्रस्ताव रखा। एक देश एक चुनाव संशोधन विधेयक को पारित करने के लिए संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी, जबकि अन्य विधेयक को साधारण बहुमत से ही पारित किया जा सकेगा। केंद्र सरकार को इसके लिए संविधान में जरूरी संशोधन करने होंगे और इसके लिए उसे दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। इसके बाद अगर राज्यों की सहमति की जरूरत पड़ी तो विपक्षी दलों के नेतृत्व वाले राज्य इसमें अड़चन डालेंगे।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद यह दूसरी बार है, जब कोई बिल जेपीसी को भेजा गया है। इससे पहले सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को जेपीसी को भेजा था और अब उसने ‘एक देश, एक चुनाव’ से जुड़े बिल को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव रखा है। बता दें कि, एक राष्ट्र एक चुनाव बिल को संसद में पारित होने के लिए दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। विधि आयोग के मुताबिक एक राष्ट्र एक चुनाव का प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 328 को भी प्रभावित करेगा, जिसके लिए अधिकतम राज्यों की मंजूरी लेनी पड़ सकती है।
CM योगी की अगुवाई में सौर ऊर्जा से जगमग हो रहा उत्तर प्रदेश, तेजी से लगाए जा रहे सोलर रूफटॉफ पैनल
संविधान के अनुच्छेद 368 (2) के मुताबिक ऐसे संशोधन के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों की मंजूरी की जरूरत होती है। ऐसे में अगर राज्यों से सहमति लेने की जरूरत पड़ी तो ज्यादातर गैर-भाजपा सरकारें इसका विरोध करेंगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का नंबर गेम बिगड़ गया है। भाजपा के पास 240 लोकसभा सदस्य हैं, जिसके चलते उसे जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी है। लोकसभा की कुल 543 सीटों में से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास फिलहाल 292 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत पाने के लिए 362 के आंकड़े तक पहुंचना जरूरी है। वहीं, राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास फिलहाल 112 सीटें हैं, जबकि उसे 6 मनोनीत सांसदों का समर्थन भी हासिल है। जबकि विपक्ष के पास 85 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटों की जरूरत है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.