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India News (इंडिया न्यूज़), Parkinson’s Disease: पार्किंसन रोग (Parkinson’s Disease) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो धीरे-धीरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यह रोग मुख्य रूप से मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करता है, जो शरीर के संचालन और गति के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह रोग आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद होता है, लेकिन वृद्धावस्था में भी हाथ-पैर का हिलना सामान्य माना जाता है। हालांकि, यह समझ पाना कि यह पार्किंसन है या उम्र का असर, सामान्य व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
पार्किंसन रोग के मुख्य लक्षणों में शरीर के अंगों, खासकर हाथ-पैरों का कंपकंपाना, शामिल है। यह कंपन कभी-कभी ठीक हो जाता है, लेकिन जब रोगी किसी कार्य में जुटता है, जैसे लिखना या खाना, तो फिर से हाथ कांपने लगते हैं। इसके अलावा, शारीरिक संतुलन का बिगड़ना, चलने में दिक्कत आना, और बोलने में परेशानी जैसी समस्याएं भी पैदा होती हैं। रोगी का चेहरा भावहीन हो जाता है, और शरीर में कठोरता महसूस होती है। यह रोग बढ़ने के साथ नींद की समस्या, वजन में कमी, सांस लेने में कठिनाई, कब्ज़, पेशाब में रुकावट, और चक्कर आने जैसी समस्याओं का कारण बनता है।
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पार्किंसन रोग का मुख्य कारण मस्तिष्क के गहरे हिस्से, बैसल गैंग्लिया (Basal Ganglia) और सब्सटेंशिया निग्रा (Substantia Nigra) में स्थित न्यूरॉन कोशिकाओं का क्षतिग्रस्त होना है। जब इन कोशिकाओं की संख्या घटने लगती है, तो मस्तिष्क में स्थित रासायनिक पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे शरीर का संतुलन भी प्रभावित होता है। इस बीमारी के वंशानुगत होने की संभावना भी बताई जाती है। इसके अलावा, मानसिक तनाव, नकारात्मक सोच, और मानसिक दबाव भी इस रोग का कारण बन सकते हैं। नींद की दवाइयां, नशीली दवाइयाँ, और प्रदूषण भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। मस्तिष्क तक ब्लड वेसल्स का अवरुद्ध होना इसका कारण हो सकता है।
हालांकि, पार्किंसन रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके उपचार से रोग की गति को धीमा किया जा सकता है और रोगी को आराम दिया जा सकता है। दवाइयों के माध्यम से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में एम्स जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (Deep Brain Stimulation) सर्जरी भी की जाती है, जो रोगी की स्थिति में सुधार ला सकती है। इसके अलावा, रोगियों को स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम की सलाह दी जाती है। घरेलू उपचारों में ताजे फल और सब्जियों का सेवन, हरी पत्तेदार सब्जियों का सलाद, और विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हैं। रोगी को सकारात्मक सोच रखने और मानसिक तनाव से बचने के लिए भी कहा जाता है।
पार्किंसन के मरीजों को कुछ खास प्रकार के खाद्य पदार्थों और आदतों से बचने की सलाह दी जाती है। इन्हें कॉफ़ी, चाय, नशीली चीज़ें, शराब, तंबाकू, और अत्यधिक नमक और चीनी वाले खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, कॉफ़ी पीने से इस रोग के विकसित होने का खतरा 14% तक कम हो सकता है, लेकिन जब यह रोग हो जाए, तो कॉफ़ी का सेवन बंद करना चाहिए।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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