संबंधित खबरें
पिता से ज्यादा पति के लिए भाग्य का भंडार होती है ऐसी लड़कियां, पसंद करने जाए लड़की तो देख ले उसकी उंगली पर ये एक साइन?
इन लोगों को भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष, शिव जी का ऐसा प्रकोप दिखाता है कि…?
जब कर्ण की ओर आग-बबूला हो गदा लेकर दौड़े थे हनुमान, फिर किसने किया था बजरंग बली का गुस्सा शांत और बचाई थी कर्ण की जान?
इस देवता की मृत्यु के बाद क्यों उनके शरीर की राख को 8 भागों में कर दिया गया था विभाजित?
जब भगवान राम अपने भक्त पर ब्रह्मास्त्र चलाने को हो गए थे मजबूर, क्या सच में हनुमान को सुनाई थी मौत की सज़ा?
ताउम्र कर्ण को क्यों आते रहे बेचैन करदेने वाले सपने, ऐसे जुड़े थे कुंती से इस योद्धा से तार, सच जान हो जाएंगे हैरान!
India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Kichaka Story: महाभारत की कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है। इस दौरान पांडवों को हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कभी वे भोजन और आश्रय के लिए भटक रहे थे, तो कभी लोगों की नज़रों से बचने के लिए इधर-उधर छिप रहे थे या अपना भेष बदल रहे थे। 13 साल के वनवास और एक साल के अज्ञातवास के दौरान पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी को न केवल अपना नाम बदलना पड़ा बल्कि भेष बदलकर रहना पड़ा।
अपने वनवास के अंतिम वर्ष में पांडव वेश बदलकर राजा विराट के पास गए। यहां पहुंचकर वे सभी राजा की सेवा करने लगे। राजा विराट की सेवा में बड़े भाई युधिष्ठिर कंक नामक ब्राह्मण का वेश धारण कर राजा के दरबार में जुआ खेला करते थे।
भीमसेन ने अपना नाम बदलकर बल्लव रख लिया था। भीम ने अपना नाम बदलकर बल्लव रख लिया था। वह रसोई का काम संभालता था। अर्जुन दरबार में हिजड़े का वेश धारण करके राजा की बेटी को नृत्य सिखाता था। अर्जुन ने अपना नाम बदलकर वृहन्नला रख लिया था। नकुल घोड़ों की देखभाल करता था और उसने अपना नाम बदलकर ग्रांथिक रख लिया था। सहदेव ने अपना नाम बदलकर तन्तिपाल रख लिया था। वह गायों की देखभाल करता था। जबकि द्रौपदी ने अपना नाम बदलकर सैरंध्री रख लिया और राजा विराट की पत्नी की सेवा करने लगी।
राजा विराट के सेनापति का नाम कीचक था और वह राजा का साला भी था। उसके डर से राज्य में लोग उसके गलत कामों को भी अनदेखा कर देते थे। कीचक को वरदान था कि उसकी मृत्यु केवल इन सात योद्धाओं के कारण ही हो सकती है। इनमें बलराम, गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, कर्ण, दुर्योधन, भीमसेन और लीलाधर कृष्ण शामिल थे।
इस कारण कीचक अपने वरदान का फायदा उठाता था। एक दिन कीचक ने सैरंध्री यानी द्रौपदी को अपने प्रेम जाल में फंसाने की कोशिश की। सैरंध्री जब राजी नहीं हुई तो उसने बलपूर्वक ऐसा किया। जब भीमसेन को इस बात का पता चला तो उन्होंने कीचक का वध कर दिया।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.