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पूरी दुनिया को अपनी नोंक पर रखने वाले AK-47 का किसने किया अविष्कार? पहले हाथ लिखी निराशा फिर… बन गई रूसी सेना की ‘तीसरी आंख’

PUBLISHED BY: Sohail Rahman • LAST UPDATED : December 23, 2024, 7:58 pm IST
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पूरी दुनिया को अपनी नोंक पर रखने वाले AK-47 का किसने किया अविष्कार? पहले हाथ लिखी निराशा फिर… बन गई रूसी सेना की ‘तीसरी आंख’

AK-47 Inventor Mikhail Kalashnikov (किसने मनाया एके 47)

India News (इंडिया न्यूज), AK-47 Inventor Mikhail Kalashnikov: आपने एके 47 राइफल का नाम तो जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि, इस हथियार का अविष्कार किसने किया था। अगर नहीं पता तो चलिए आज हम आपको बताएंगे। दरअसल, बिना किसी खास ट्रेनिंग के चलाई जा सकने वाली एके 47 राइफल को रूस के एक जनरल ने बनाया था। उनका नाम मिखाइल कलाश्निकोव है, जिनकी आज पुण्यतिथि है। एके 47 बनाने वाले मिखाइल टिमोफेयेविच कलाश्निकोव का जन्म 10 नवंबर 1919 को रूस में हुआ था।

अस्पताल में बना डाला अनोखा हथियार

यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की बात है। टैंक चलाते समय मिखाइल घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां कुछ रूसी सैनिक सोवियत संघ के हथियारों की आलोचना कर रहे थे, क्योंकि उन हथियारों को चलाना बहुत मुश्किल था। यह सुनकर मिखाइल ने मन ही मन तय कर लिया कि वह ऐसे हथियार बनाएंगे जिन्हें चलाने के लिए सैनिकों को किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी और उन्हें अपने देश पर गर्व होगा। दरअसल, रूस में ठंड के कारण वहां के सैनिकों को मोटे दस्ताने पहनने पड़ते हैं। इस कारण उन्हें उस दौर की बंदूकें चलाने में काफी दिक्कत होती थी। कई बार निशाना चूक जाता था या दस्ताने के कारण ट्रिगर दबता ही नहीं था।

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वर्ष 1949 में राइफल को पहचान मिली

रूसी सेना में एक-एक कदम आगे बढ़ते हुए मिखाइल जनरल के पद तक पहुंचे। सेना में रहते हुए उन्होंने राइफलों के निर्माण पर काम करना शुरू किया। वर्ष 1944 में उन्होंने गैस से चलने वाला हथियार बनाया। इसकी प्रेरणा एम1 गारैंड राइफल से मिली। फिर येर्गेई गैवरिलोविक सिमोनोव ने सोवियत सेमी-ऑटोमैटिक कार्बाइन बनाई, जिससे मिखाइल काफी प्रभावित हुए। इससे प्रेरणा लेकर मिखाइल ने वर्ष 1947 में राइफल बनाई। हालांकि, उनके आविष्कार को पहचान नहीं मिली। आखिरकार वर्ष 1949 में जब रूसी सेना ने उनके द्वारा बनाई गई राइफल का इस्तेमाल किया, तो उनकी किस्मत बदल गई। उन्हें बड़ी संख्या में ऐसी राइफलें बनाने का ऑर्डर दिया गया। उनकी इस राइफल का नाम भी उनके नाम पर ऑटोमैटिक कलाश्निकोव 47 रखा गया।

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