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India News (इंडिया न्यूज),Atal Bihari Vajpayee: आज (25 दिसंबर) भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है। इस दिन को अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सुशासन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वहीं, भाजपा और एनडीए के सहयोगी दल बुधवार को पूर्व पीएम की 100वीं जयंती धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस अवसर पर राजनीतिक एकता और ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा। एनडीए के शीर्ष नेता वाजपेयी की विरासत का सम्मान करने के लिए सदाव अटल स्मारक पर एकत्र होंगे। समारोह विभिन्न स्तरों पर आयोजित किए जाने हैं, जिनमें से पहला नई दिल्ली में होगा, जहां ‘सदैव अटल’ स्मारक पर एक भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई गई है।
इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और गठबंधन सहयोगियों के नेताओं जैसे अन्य प्रमुख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। यह सभा न केवल वाजपेयी को श्रद्धांजलि है, बल्कि एनडीए सरकार की एकता और राजनीतिक ताकत को रेखांकित करने का अवसर भी है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को मध्य प्रदेश आएंगे। यहां वे खजुराहो में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। केन बेतवा परियोजना के शिलान्यास के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी का सपना साकार हो जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। वे 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों का भी शिलान्यास करेंगे। ये भवन स्थानीय स्तर पर सुशासन के लिए ग्राम पंचायतों के कार्यों और दायित्वों के व्यावहारिक संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर में शिंदे की छावनी में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक किया और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए किया।
अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के इसी कॉलेज से एलएलबी की थी
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की थी। दोनों ने एक ही क्लास में कानून की डिग्री हासिल की थी और इस दौरान दोनों एक ही हॉस्टल में भी रहते थे। जब अटल बिहारी वाजपेयी डीएवी कॉलेज आए तो अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन अपने चरम पर था। साल 1945 में जब उन्होंने एडमिशन लिया तो हॉस्टल में उनका कमरा नंबर 104 था। यहीं से उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री ली। इसके बाद वे अपने पिता के साथ एलएलबी की पढ़ाई करने लगे। पिता भी अपने बेटे के साथ हॉस्टल में रहते थे, लेकिन जब वे राजनीति में कूद पड़े तो उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया
अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने शुरुआती जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में भी हिस्सा लिया था और 24 दिनों तक जेल में रहे थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी। वे 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। आपको बता दें कि वे एकमात्र ऐसे सांसद हैं जो चार अलग-अलग राज्यों- दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से चुने गए थे। 6 अप्रैल 1980 को उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। लेकिन इस बार उन्हें संख्याबल के आगे इस्तीफा देना पड़ा। 19 मार्च 1998 को अटलजी ने फिर से देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और फिर 13 अक्टूबर 1999 को अटलजी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 1997 में जनता पार्टी की सरकार से वे विदेश मंत्री बने और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में अपना भाषण भी हिंदी में दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी एक महान नेता थे और उन्होंने विपक्षी दलों के बीच भी एक विशेष स्थान हासिल किया था। यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू ने भी भविष्यवाणी की थी कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। जब वे विदेश मंत्री बने तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा में भाषण दिया और ऐसा करने वाले वे देश के पहले नेता थे।
भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थे जिन्होंने दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास कराया। कई अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण किया और भारत को परमाणु शक्ति बनाया। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव अटल बिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम से बस सेवा शुरू की थी, जिसमें उन्होंने एक बार यात्रा भी की थी।
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