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India News (इंडिया न्यूज),healthy teeth: दांतों की समस्या दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समस्या मानी जाती है। इसके बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं, लेकिन दांतों में ड्रिलिंग तकनीक से काफी डरते हैं। लेकिन अब इसमें नए उपचार भी आ गए हैं, जो दांतों में कैविटी की समस्या से निजात दिला सकते हैं।
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो अपने पीले और सड़े हुए दांतों से परेशान हैं। सफेद चमकदार दांत हमेशा मुंह के स्वास्थ्य की ओर इशारा करते हैं। इनसे समग्र स्वास्थ्य का भी पता चलता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि अगर दांत सफेद हैं, तो उनमें कीटाणु नहीं होंगे। सर्दी-जुकाम और फ्लू के बाद दुनिया में दूसरी सबसे आम बीमारी दांतों की सड़न है। बड़े पैमाने पर दांतों की सड़न जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती है। दांतों की सड़न के कारण न सिर्फ शरीर के कार्य प्रभावित होते हैं, बल्कि सुंदरता भी प्रभावित होती है।
इसके अलावा सबसे गंभीर बात यह है कि पाचन तंत्र भी खराब हो जाता है। इसमें कोई समस्या होने पर पूरे शरीर का सिस्टम खराब हो सकता है। लेकिन इसके लिए हमें यह समझना होगा कि आखिर ऐसा क्या है जो दांतों को प्रभावित करता है। मेडिकल भाषा में दांतों की सड़न को दांतों में होने वाले क्रॉनिक इंफेक्शन को कहते हैं। इसमें दांतों की कैल्सीफाइड संरचना में छोटे-छोटे कीड़े लग जाते हैं. इसके कारण दांतों जैसी सख्त चीज में भी छेद होने लगते हैं और इससे कैविटी हो जाती है. ये धीरे-धीरे बढ़ते हैं और इसे ओरल कैविटी कहते हैं. इन्हें बढ़ने के लिए भी भोजन की जरूरत होती है, ताकि ये जिंदा रह सकें और एक से कई गुना तक बढ़ सकें. हम जो खाना खाते हैं और जो दांतों में चिपक जाता है, ये कीटाणु दांतों की सतह पर कॉलोनियां बना लेते हैं, जिसे डेंटल प्लाक या दांतों की गंदगी भी कहते हैं।
जब भी चिपचिपा या कोई मीठा खाना खाया जाता है तो कीटाणु उस खाने को सड़ाकर एसिड बनाते हैं. एसिड क्या होता है ये तो हम सभी जानते हैं और धीरे-धीरे ये एसिड हमारे दांतों को सड़ाना शुरू कर देता है. इनेमल जिसे हमारे दांतों का सुरक्षा कवच माना जाता है, वो भी इसके कारण गलने लगता है. इसमें ये कीटाणु मजे से रहते हैं और हम जो कुछ भी खाते हैं, उसे ये धीरे-धीरे दांतों के अंदर ले लेते हैं. इसके बाद दांतों में इनका हमला झेलने की ताकत नहीं रहती।
इसलिए जैसे ही हम कुछ खाते हैं तो हमें तेज दर्द होने लगता है. अगर दूध पीने के बाद बच्चों के मसूढ़ों और दांतों की ठीक से सफाई न की जाए तो दांतों में दूध का चिपचिपापन लंबे समय तक बना रहता है, क्योंकि दूध में चीनी की मात्रा अधिक होती है और इससे कैविटी बढ़ने की गति बढ़ जाती है। अगर छोटे बच्चों के मसूढ़ों को दूध पिलाने के बाद मुलायम कपड़े से साफ न किया जाए तो उन्हें भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। दूध के दांत आते ही खराब होने लगते हैं। बोतल से दूध पीने वालों को भी यह समस्या होती है। इस तरह कीटाणु और कार्बोहाइड्रेट दांतों में सड़न पैदा करते हैं। आइए जानते हैं इनमें से कौन क्या भूमिका निभाता है।
पारंपरिक उपचार तो हैं ही, लेकिन हाल ही में नए उपचार भी सामने आए हैं।
1. इसमें मुख्य रूप से लेजर के जरिए दांतों की सड़न को खत्म किया जाता है। साथ ही दांत भी मजबूत बने रहते हैं।
2. इसके अलावा एक और तकनीक है कीमोमेकेनिकल कैरीज रिमूवल। इसमें केमिकल का इस्तेमाल करके दांतों की सड़न को खत्म किया जा सकता है। इस तरह से प्रभावित दांतों में छेद करके उन्हें ड्रिल करने या साफ करने की जरूरत नहीं होती।
3. एक अन्य तकनीक है एयर एब्रेसन – इस तकनीक में भी स्वस्थ दांत को ड्रिल करने की आवश्यकता नहीं होती। दंत चिकित्सा के अन्य तरीकों के बारे में जानने के लिए अगली स्लाइड्स पर क्लिक करें…
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