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India News (इंडिया न्यूज), Masood Azhar News: अंतरराष्ट्रीय आतंकी मौलाना मसूद अजहर भारत में पुलवामा समेत कई आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है। उसका आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान की पनाह में खूनी साजिशें रचता रहा है। इस आतंकी ने भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में भी आतंकी हमले किए हैं। खबर है कि उसे बड़ा हार्ट अटैक आया है। जिसे कराची के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसकी भारत को सालों से तलाश हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर एक मास्टर का लड़का इतना बाद आतंकी कैसे बन गया।
मोस्ट वांटेड आतंकी मौलाना मसूद अजहर का जन्म 10 जुलाई 1968 को पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ था। उसके 9 और भाई-बहन थे। कुछ एजेंसियां उसकी जन्मतिथि 7 अगस्त 1968 बताती हैं। अजहर के पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर थे। उनका परिवार डेयरी और पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़ा था। इस आतंकी ने कराची के बनुरी नगर में जामिया उलूम उल इस्लामिया नाम के मदरसे से शिक्षा प्राप्त की। और वहीं पर वह हरकत-उल-अंसार नाम के संगठन के संपर्क में आया। जो उस समय अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन था। वह उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिदीन और अरबी पत्रिका सवात-ए-कश्मीर का संपादक भी था।
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भारत को तबाह करने की नई साजिश रचने वाला आजाद हो गया। 31 दिसंबर 1999 को कंधार पहुंचने के बाद मसूद अजहर और उमर शेख सीधे अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से मिलने चले गए। और एक महीने बाद 31 जनवरी 2000 को दोनों आतंकी पाकिस्तान चले गए। उसके बाद कराची की एक मस्जिद में 1000 हथियारबंद आतंकियों के सामने मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठन की स्थापना का ऐलान किया। इससे पहले वह हरकत-उल-मुजाहिदीन से जुड़ा था। लेकिन जैश की स्थापना के बाद हरकत-उल-मुजाहिदीन के ज्यादातर सदस्य मसूद अजहर से जुड़ गए।
24 दिसंबर 1999 को शाम 5:30 बजे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 ने नेपाल के काठमांडू स्थित त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए उड़ान भरी. विमान में कुल 178 यात्री सवार थे. उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही विमान को पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया। विमान के हाईजैक होने की खबर भारत को पहले ही मिल गई थी। उधर, आतंकवादी लाहौर और दुबई होते हुए अफगानिस्तान के कंधार शहर पहुंच गए।
यात्रियों की रिहाई के बदले में उन्होंने भारतीय जेलों में बंद 35 आतंकवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की। 6 दिनों तक भारत सरकार और आतंकवादियों के बीच बातचीत चलती रही और सातवें दिन भारतीय जेलों में बंद तीन आतंकवादियों की रिहाई के लिए डील फाइनल हुई। ये आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर थे। उस समय इन तीन आतंकवादियों को छोड़कर 148 निर्दोष लोगों की जान बच गई थी।
आरोप है कि दिसंबर 2001 में जैश ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला किया था। साथ ही, फरवरी 2002 में जैश ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का सिर कलम कर दिया था। मई 2009 में जैश के सदस्य होने का दावा करने वाले चार लोगों को न्यूयॉर्क में एक यहूदी मंदिर को उड़ाने और अमेरिकी सैन्य विमानों पर मिसाइल दागने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा 2016 में पठानकोट हमले में भी इस आतंकी संगठन का नाम सामने आया था।
1980 के दशक के अंत तक मसूद अजहर पूरी तरह से आतंकवाद के जहर में डूब चुका था। तब सोवियत संघ और अफगानिस्तान के बीच युद्ध भी अपने चरम पर था। उस दौरान मसूद अफगानिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग लेने के बाद पाकिस्तान वापस लौट आया था। 1992 तक मसूद अजहर ने पाकिस्तान में आतंकवाद का जहर फैलाने के लिए धन जुटाया। वह अफगानिस्तान में बैठे आतंकियों की मदद करना चाहता था। हरकत-उल-मुजाहिदीन आतंकी संगठन का मुखिया खलील इससे इतना प्रभावित हुआ कि उसने मसूद को विदेश यात्राओं पर भेजना शुरू कर दिया। सबसे पहले मसूद हज यात्रा के लिए सऊदी अरब गया और उसके बाद उसने अफ्रीकी देश जांबिया और ब्रिटेन से भी लाखों रुपये का चंदा जुटाया। उसने बर्मिंघम, नॉटिंघम, लीसेस्टर और लंदन में आतंकी मानसिकता वाले युवाओं के साथ बैठकें भी कीं।
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पाकिस्तानी आतंकवादियों की नज़र भारत पर थी। पाकिस्तानी सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी ISI के सहयोग से मसूद अज़हर भारत में घुसने की साजिश रचने लगा। वह अपने असली नाम और पहचान के साथ भारत नहीं आना चाहता था क्योंकि उसे पकड़े जाने का डर था। फिर मसूद अज़हर पुर्तगाली पासपोर्ट पर ढाका पहुंचा और वहां से दिल्ली, फिर दिल्ली से श्रीनगर। घाटी में आतंक की आग भड़क चुकी थी।
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