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Kishor Kunal: मंदिरों में दलित पंडित लाने से लेकर बेहद ही कांटों भरा था किशोर कुणाल का सफर, जानें कैसा रहा अंतिम चरण?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : December 30, 2024, 5:00 pm IST
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Kishor Kunal: मंदिरों में दलित पंडित लाने से लेकर बेहद ही कांटों भरा था किशोर कुणाल का सफर, जानें कैसा रहा अंतिम चरण?

Kishor Kunal Last Rites: मंदिरों में दलित पंडित लाने से लेकर बेहद ही कांटों भरा था किशोर कुणाल का सफर

India News (इंडिया न्यूज), Kishor Kunal Last Rites: पूर्व आईपीएस अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का हाल ही में निधन हो गया, जिससे बिहार और विशेष रूप से पटना में शोक की लहर दौड़ गई। उनका निधन उन हजारों लोगों के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिन्होंने उनके मार्गदर्शन और सेवाओं का लाभ उठाया था। उनके पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा ने एक समर्पित श्रद्धांजलि के रूप में महाप्रभु की उपस्थिति को महसूस कराया। उनके निधन के साथ महावीर मंदिर न्यास ने अपना एक अभिन्न नेता खो दिया है, जिन्होंने समाज के लिए अनेक योगदान किए।

अंतिम यात्रा की विशेषताएँ:

आचार्य किशोर कुणाल का निधन कोनहारा घाट पर हुआ, जहां उनके बेटे सायन कुणाल ने उन्हें नम आँखों से अंतिम विदाई दी। शव यात्रा का मार्ग भी गहरी श्रद्धा और सम्मान के प्रतीक रूप में तय किया गया था। अंतिम यात्रा की शुरुआत उनके निवास स्थान (गौशाला रोड, सदाकत आश्रम, कुर्जी) से हुई, और यह विभिन्न प्रमुख स्थानों से होते हुए महावीर मंदिर तक पहुंची। इस यात्रा में हजारों लोग उमड़े, जो आचार्य के योगदान और उनके कार्यों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने आए थे।

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आचार्य किशोर कुणाल का पार्थिव शरीर महावीर मंदिर के पास सवा घंटे तक रखा गया, ताकि लोग अंतिम बार उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। इस दौरान मंदिर के आसपास भीड़ का तांता लगा था, और हर किसी की आँखें नम थीं। उनके बेटे सायन कुणाल और बहू शांभवी की आँखों में आंसू थे, जो अपने प्रियजन को खोने के दुख से अभिभूत थे।

आचार्य किशोर कुणाल का योगदान:

आचार्य किशोर कुणाल का योगदान समाज सेवा के कई क्षेत्रों में अद्वितीय था। उन्होंने महावीर मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर अनेक सामाजिक संस्थानों की स्थापना की। इनमें प्रमुख हैं:

  • महावीर आरोग्य संस्थान,
  • महावीर कैंसर संस्थान,
  • महावीर वात्सल्य अस्पताल,
  • महावीर नेत्रालय,
  • महावीर वरिष्ठ नागरिक अस्पताल, और
  • हाजीपुर के कौनहारा पर विशालनाथ अस्पताल

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उनकी दूरदृष्टि के परिणामस्वरूप बिहार में पूर्वी चंपारण में विराट रामायण मंदिर का निर्माण भी शुरू हुआ था। इस परियोजना के जरिए उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म को प्रोत्साहित करने का कार्य किया। इसके अलावा, आचार्य ने समाज के हर वर्ग के लिए अपनी सेवाएँ दीं, और उनका योगदान आज भी कई लोगों के दिलों में जीवित रहेगा।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिनिधियों की श्रद्धांजलि:

आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर न केवल आम लोग, बल्कि राजनीतिक नेता और प्रशासनिक अधिकारी भी श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। बिहार सरकार के मंत्री और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्री भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए। उन्होंने आचार्य के योगदान की सराहना की और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएँ व्यक्त की।

अंतिम संस्कार स्थल:

आचार्य किशोर कुणाल का अंतिम संस्कार कोनहारा घाट, हाजीपुर पर हुआ, जहाँ उनके बेटे और समधी ने उन्हें कंधा दिया। इसके बाद, गांधी सेतु के माध्यम से शव यात्रा को घाट तक ले जाया गया, जहां उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया संपन्न हुई।

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आचार्य किशोर कुणाल की अंतिम यात्रा का मार्ग:

  1. गौशाला रोड, सदाकत आश्रम, कुर्जी (निवास स्थान से आरंभ)
  2. कुर्जी
  3. राजीव नगर
  4. अटल पथ
  5. पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर (दर्शन हेतु)
  6. गांधी मैदान
  7. मरीन ड्राइव
  8. गायघाट
  9. गांधी सेतु होते हुए
  10. कोनहारा घाट, हाजीपुर (अंतिम संस्कार स्थल)

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आचार्य किशोर कुणाल की दूरदृष्टि, समाजसेवा और धर्म के प्रति समर्पण उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनके योगदान और कार्यों ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की, और उनका प्रभाव लंबे समय तक महसूस किया जाएगा। उनके निधन से बिहार ने एक महान व्यक्तित्व को खो दिया, लेकिन उनके कार्यों और विचारों का प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।

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