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India News (इंडिया न्यूज), Shanivar Ko Peepal Ki Puja Kaise Kare: शनिवार का दिन शनि देव की पूजा और शनि के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए विशेष रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से न केवल शनि की कड़ी परीक्षा से राहत मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। पीपल के पेड़ में देवताओं और पितरों का वास होता है, इसलिए इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप शनि की साढ़े साती या ढैया से बचना चाहते हैं, तो आपको पीपल की पूजा करते वक्त कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि पीपल की पूजा कभी भी दोपहर के समय नहीं करनी चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, पीपल की पूजा का सबसे उपयुक्त समय शाम का होता है। इस समय पीपल की जड़ों में दीपक जलाकर प्रार्थना करने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
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पीपल पर जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का होता है, जब आप पूर्व दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाएं। जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में पानी, दूध और गुड़ मिलाकर चढ़ाना चाहिए। यह विशेष रूप से शनिवार के दिन लाभकारी माना जाता है। साथ ही, उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भी पीपल की जड़ों में जल चढ़ाना शुभ होता है।
पीपल की परिक्रमा करना भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शास्त्रों के अनुसार, पीपल की परिक्रमा विषम संख्या में करना चाहिए। जैसे 1, 3, 5, 7, 9 या 11 परिक्रमाएं विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं। इस दौरान 108 परिक्रमाएं करना सबसे अधिक शुभ और प्रभावी माना जाता है। इससे शनि का प्रकोप शान्त होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
संध्याकाल में सरसों के तेल का दीपक जलाना पीपल की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरसों का तेल पीपल में जलाने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और यह शनि के प्रभाव को भी दूर करता है। सूर्यास्त के बाद पीपल की जड़ों में सरसों के तेल का दीपक जलाना बेहद शुभ होता है। इससे घर में समृद्धि और शांति का वास होता है।
यह सभी नियम न केवल शनि के कुप्रभाव से बचने में मदद करते हैं, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। अगर आप इन नियमों का पालन करते हैं और शनिवार के दिन विशेष रूप से पीपल की पूजा करते हैं, तो शनि का दुष्प्रभाव दूर होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
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