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India News (इंडिया न्यूज), Lunar Soil Price: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में स्पैडेक्स मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग सिस्टम को क्रियान्वित करना था। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, डॉकिंग का मतलब है अंतरिक्ष में घूम रहे दो अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ना। इसरो के स्पैडेक्स मिशन के पीछे एक और बड़ी बात छिपी है, वो है चंद्रयान-4 की सफलता। अगर ये मिशन सफल होता है तो भारत चंद्रयान-4 के जरिए चांद से मिट्टी धरती पर लाएगा, जिस पर शोध किया जाएगा। ऐसे में सवाल ये उठता है कि, चांद के मिट्टी की कीमत कितनी है? चलिए आज हम इसके बारे में जानेंगे।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, चांद पर भविष्य की संभावनाओं को तलाशने के लिए चांद की मिट्टी पर शोध चल रहा है। अमेरिका, रूस और चीन अब तक चांद से मिट्टी धरती पर लाने में सफल रहे हैं। अब भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। बता दें कि, चांद से लाई गई मिट्टी आपको करोड़पति भी बना सकती है। चांद की मिट्टी को धरती पर लाने का एकमात्र उद्देश्य वैज्ञानिक शोध करना है, ताकि मिट्टी में मौजूद पानी के अणुओं, खनिजों के साथ-साथ चांद के बारे में सभी जानकारियों को हासिल किया जा सकें।
अगर हम चांद की मिट्टी की कीमत की बात करें तो, 1969 में अपोलो-11 मिशन के दौरान नील आर्मस्ट्रांग द्वारा एकत्र की गई चांद की मिट्टी को नासा ने 2022 में नीलाम कर दिया है। मिट्टी की एक छोटी सी मात्रा 5,04,375 डॉलर में नीलाम हुई थी। यह मिट्टी नील आर्मस्ट्रांग ने 1969 में चांद पर पहला कदम रखने के ठीक बाद एकत्र की थी। चांद से मिट्टी धरती पर लाने का काम सबसे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने किया था।
नासा ने अपोलो-11 मिशन के तहत 1969 में पहली बार चांद से मिट्टी के नमूने एकत्र किए थे। इस दौरान करीब 22 किलोग्राम मिट्टी धरती पर लाई गई थी। 1969 से 1972 तक नासा ने कई मिशन लॉन्च किए और करीब 382 किलोग्राम मिट्टी धरती पर लाई गई। इसके बाद 1976 में रूस ने लूना-24 मिशन लॉन्च किया। यह रूसी मिशन करीब 170 ग्राम मिट्टी लेकर धरती पर सुरक्षित लौटा।
अमेरिका और रूस के बाद चीन ने भी अपना चांद मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इन दोनों देशों में से चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो चांद से मिट्टी धरती पर लेकर आया है। हाल ही में चीन का चांद मिशन चांग’ई 6 मिशन सफलतापूर्वक धरती पर लौटा है, इस मिशन के तहत 2 किलो मिट्टी धरती पर लाई गई थी।
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