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India News (इंडिया न्यूज), Hanuman ji in Kaliyug: सुमेरु पर्वत के आसपास कई पर्वत हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में इन्हीं में से एक पर्वत को गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह पर्वत तिब्बत के क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है, जहां कलियुग में हनुमान जी रहते थे। इस पर्वत का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है। सदियों पहले यह पर्वत कुबेर के क्षेत्र में था लेकिन वर्तमान में यह क्षेत्र तिब्बत की सीमा में है। जब कुबेर से स्वर्ण नगरी लंका छीनी गई तो वे इसी पर्वत पर रहे थे।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां की विशाल पर्वत श्रृंखलाओं और वन क्षेत्रों में देवी-देवता निर्भय होकर विचरण करते हैं। गंधमादन पर्वत पर ऋषि कश्यप ने भी तपस्या की थी। इस पर्वत पर गंधर्व, किन्नर, अप्सराएं और सिद्ध ऋषि भी निवास करते हैं। गंधमादन पर्वत तक पहुंचने के लिए तीन मार्ग बताए जाते हैं। पहला, मानसरोवर से आगे नेपाल से, दूसरा, भूटान की पहाड़ियों से और तीसरा, चीन के रास्ते अरुणाचल से। लेकिन यह भी कहा जाता है कि इन मार्गों से इस पर्वत तक पहुंचना लगभग असंभव है। अगर कोई व्यक्ति यहां जाना चाहता है, तो उसे पापों से पूरी तरह मुक्त होना होगा। मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी कभी-कभी अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए इस पर्वत से नीचे उतरते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडव अज्ञातवास में थे, तो उस समय वे हिमवंत को पार करके गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार जब भीम सहस्र दल कमल लेने गंधमादन पर्वत के वन में पहुंचे तो उन्होंने वहां हनुमान जी को विश्राम करते देखा जो मार्ग में अपनी पूंछ फैलाकर लेटे हुए थे। भीम ने उनसे उनकी पूंछ हटाने को कहा तो हनुमान जी ने भीम से कहा कि ‘आप ही इसे हटा लीजिए।’ भीम को पहले तो अपने अहंकार के कारण यह आसान काम लगा लेकिन जब वे अपनी पूरी ताकत लगाने के बाद भी पूंछ नहीं हटा पाए तो उन्होंने हनुमान जी से उनका परिचय पूछा और तब उन्हें हनुमान जी का रहस्य पता चला।
कहा जाता है कि गंधमादन पर्वत पर एक मंदिर है, जिसमें भगवान हनुमान के साथ-साथ भगवान राम आदि की मूर्तियां स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम इसी पर्वत पर अपनी वानर सेना के साथ युद्ध की योजना बनाते थे। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस पर्वत पर भगवान राम के पैरों के निशान भी हैं।
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