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India News (इंडिया न्यूज), Madhuri Dixit: माधुरी दीक्षित बॉलीवुड की सबसे बड़ी सुपरस्टार्स में से एक मानी जाती हैं। उनका नाम आज भी फिल्म इंडस्ट्री में गूंजता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब उनका करियर भी खतरे में था? 80 के दशक के आखिर में उन्हें इंडस्ट्री में अनलकी माना जाता था। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी मेहनत और विश्वास से उन्होंने सबको गलत साबित कर दिया।
माधुरी दीक्षित के करियर की शुरुआत अच्छी नहीं रही। लगातार दो फ्लॉप फिल्में देने के बाद इंडस्ट्री में उनका नाम दबने लगा। उनका करियर डगमगाने लगा और लोग उन्हें अनलकी कहने लगे। उस समय बॉलीवुड में उनकी स्थिति बिल्कुल भी मजबूत नहीं थी। उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाती थीं और कोई भी निर्माता-निर्देशक उन्हें अपने प्रोजेक्ट में नहीं लेता था।
1988 में आई फिल्म तेजाब ने उनकी किस्मत बदल दी। इस फिल्म के जरिए उन्होंने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। इसके बाद 1990 में आई फिल्म ‘दिल’ और 1992 में आई फिल्म ‘बेटा’ ने उन्हें स्टार बना दिया। ये फिल्में उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुईं।
दिल और बेटा के डायरेक्टर इंद्र कुमार ने यूट्यूब चैनल पर सिद्धार्थ कन्नन से बात करते हुए खुलासा किया कि उस समय माधुरी के बारे में काफी निगेटिव बातें कही जाती थीं। उन्होंने बताया, “उस समय माधुरी किसी फिल्म में नजर नहीं आईं, क्योंकि उनका नाम पहले से ही मनहूस से जुड़ चुका था। लोग मानने लगे थे कि जब भी माधुरी किसी फिल्म में होती हैं, तो वह फिल्म फ्लॉप हो जाती है।” इंद्र कुमार ने आगे बताया कि जब उन्होंने ‘दिल’ और ‘बेटा’ में माधुरी दीक्षित को साइन किया था, तो इंडस्ट्री में उनकी काफी आलोचना हुई थी। लोगों को लगा कि वह पागल हैं कि वह ऐसी एक्ट्रेस के साथ फिल्में कर रहे हैं, जिनकी फिल्में हिट नहीं हो रही थीं। लेकिन इंद्र को माधुरी में कुछ खास दिखा और उन्होंने अपनी पहचान बनाई।
1988 में ‘तेजाब’ और 1989 में ‘राम लखन’ जैसी फिल्मों से माधुरी दीक्षित के करियर को फिर से नया मोड़ मिला। इन दोनों फिल्मों ने उन्हें दर्शकों का दिल जीतने का मौका दिया। इस बारे में इंद्र कुमार ने कहा, “तेजाब और राम लखन के बाद माधुरी का ‘फ्लॉप’ टैग पूरी तरह से हट गया। उनकी ‘खराब फ्लॉप’ छवि अब सुपरस्टार की छवि में बदल गई थी।” इन फिल्मों के बाद माधुरी दीक्षित का स्टारडम बढ़ता चला गया। जल्द ही वह बॉलीवुड की सबसे बड़ी और मशहूर अभिनेत्रियों में से एक बन गईं। ‘हम आपके हैं कौन’ (1994) और ‘दिल तो पागल है’ (1997) जैसी हिट फिल्मों ने उन्हें देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ा नाम बना दिया।
अभिनेत्री की सफलता ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा मुकाम दिलाया, लेकिन उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। इंद्र कुमार के मुताबिक, “सुपरस्टार बनने के बाद भी वह पहले दिन की तरह ही डाउन टू अर्थ रहीं। उनमें किसी तरह का अहंकार नहीं था और उन्होंने हमेशा अपनी ईमानदारी और मेहनत से काम किया।” माधुरी दीक्षित ने साबित कर दिया कि अगर आपके पास हुनर और संघर्ष का जज्बा है, तो सफलता आपके पास जरूर आएगी, चाहे शुरुआत में आपको कितनी भी मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े। आज वह बॉलीवुड की सबसे प्रभावशाली और आदर्श अभिनेत्री मानी जाती हैं, जिनकी एक्टिंग और दिलकश अंदाज के लाखों दीवाने हैं।
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