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Bihar News: "नौकरी के नाम पर करना पड़ता था ये काम ", विदेशों में फंसे बिहार के 47 युवक! क्या हो पाई इनकी घर वापसी? जानें पूरी खबर

BY: Shruti Chaudhary • LAST UPDATED : January 8, 2025, 12:53 pm IST
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Bihar News: “नौकरी ने नाम पर करना पड़ता था ये काम “, विदेशों में फंसे बिहार के 47 युवक! क्या हो पाई इनकी घर वापसी? जानें पूरी खबर

India News (इंडिया न्यूज), Bihar News: बिहार के युवाओं को बेहतर रोजगार का सपना दिखाकर उन्हें विदेश भेजने वाले एजेंट अब उनके लिए मुसीबत का कारण बन रहे हैं। गोपालगंज जिले के 47 से ज्यादा युवकों को कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और लाओस भेजकर साइबर अपराधी बना दिया गया है। इन युवकों को रोजगार दिलाने के नाम पर विदेशी एजेंटों ने इन्हें वहां भेजा था, लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो उन्हें काम नहीं मिला। आरोप है कि इन युवकों को पाकिस्तान और चीन के साइबर अपराधियों के हाथों बेचा गया और उन्हें अपराधी गतिविधियों में जबरन शामिल किया गया।

क्या है पूरा मामला

उदाहरण के तौर पर, मीरगंज थाना इलाके के फतेहपुर गांव के रौशन अली के बेटे वाहिद रौशन और भतीजे मो. साउद अली को थाईलैंड भेजने के बाद म्यांमार पहुंचाया गया, जहां उन्हें पाकिस्तान और चीन के अपराधियों के साथ साइबर फ्रॉड में लगा दिया गया। इन युवकों की मदद के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और ईओयू की टीम जांच कर रही है। इसके अलावा, भगवानपुर के एक अन्य युवक, रौशन कुमार, जो होटल मैनेजमेंट में प्रशिक्षित था, को भी ओमान भेजा गया था। उसे उच्च वेतन का वादा किया गया था, लेकिन वहां पहुंचते ही उसकी स्थिति बद से बदतर हो गई।

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कंपनी ने उन्हें 80 हजार रुपए प्रतिमाह देकर ओमान भेजने का वादा किया था। उन्होंने अपना पासपोर्ट बनवाया और बड़े उत्साह के साथ 3 दिसंबर 2023 को मुंबई एयरपोर्ट से मस्कट, ओमान पहुंच गए। फ्लाइट में सवार होते वक्त कंपनी ने उन्हें एक कागज दिया जिसमें 80 हजार की जगह सिर्फ 26 हजार रुपए प्रतिमाह लिखा था। लेकिन वे एयरपोर्ट से वापस नहीं लौट सके। वे मस्कट, ओमान पहुंचे जहां उन्हें पता चला कि कंपनी ने उन्हें भेसफोर नामक कंपनी के हवाले कर दिया है। वहां उनकी नियुक्ति फाइव स्टार मर्क्योर होटल में कर दी गई।

पासपोर्ट मांगने पर दी धमकी

रोशन ने बताया कि 5 महीने बाद कंपनी ने बैंक अकाउंट खुलवाने के नाम पर उनका पासपोर्ट ले लिया और फिर वापस करने से इनकार कर दिया। समय के साथ उन्हें लगने लगा कि वे यहां फंस गए हैं। पासपोर्ट मांगने पर उन्हें सिर्फ धमकियां मिलतीं। अगले दिन अगस्त 2024 में जब वे दूतावास गए तो उन्हें एक गुरुद्वारा में रहने की जगह दी गई जहां मुफ्त में खाना मिलता था। इसी बीच उनके परिजनों ने बेगूसराय में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की। गिरिराज सिंह ने जब विदेश मंत्रालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया तो वहां का दूतावास तुरंत हरकत में आया।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की पहल से हुई घर वापसी

भारतीय दूतावास ने पासपोर्ट जब्त करने वाली कंपनी से पासपोर्ट लेकर पीड़ित रोशन को 26 दिसंबर 2024 को दे दिया और वहां से उसे 28 दिसंबर को लखनऊ की फ्लाइट का टिकट भी दे दिया। लेकिन डरा हुआ रोशन खुद ही अगले दिन यानी 27 दिसंबर को मुंबई की फ्लाइट का टिकट लेकर अपने देश लौट गया।रौशन को पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और कंपनी ने उसे शोषित किया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की पहल पर रौशन को भारत वापस लाया गया।

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