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India News (इंडिया न्यूज), Atul Subhash Son Custody: अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनकी मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपने साढ़े 4 साल के पोते की कस्टडी मांगी थी। इस मामले की सुनवाई 7 जनवरी को हुई थी। कोर्ट ने अतुल की मां अंजू मोदी को बच्चे की कस्टडी देने से फिलहाल मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चे के लिए दादी अजनबी जैसी हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।
इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि उसकी उम्र कितनी है? वह किस स्कूल में है? कोर्ट ने बच्चे को कोर्ट में पेश करने और मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण का होने की बात भी कही। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन सवालों के जवाब रिकॉर्ड में दर्ज किए जाने चाहिए। जानकारी के लिए बता दें कि बंदी प्रत्यक्षीकरण का मतलब किसी की कस्टडी की वैधता पर सवाल उठाना होता है।
अंजू मोदी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि उन्हें बच्चे से मिलने दिया जाना चाहिए। लेकिन इस पर कोर्ट ने कह दिया कि बच्चे को परेशान न करें।
इसके बाद बेंच ने पूछा कि दादी और बच्चे की आखिरी मुलाकात कब हुई थी। इस पर उनके वकील ने कहा कि वे तब मिले थे जब बच्चा ढाई साल का था। इस पर कोर्ट ने कहा कि ‘यानि आप बच्चे के लिए लगभग अजनबी हैं। वास्तव में, आप दोनों एक-दूसरे को जानते भी नहीं हैं।’
अतुल की मां ने कहा कि उन्होंने बच्चे के साथ समय बिताया है। तो कोर्ट ने कहा कि ‘अगर आप चाहें तो जाकर उससे मिल सकते हैं। लेकिन यह उम्मीद न करें कि बच्चा आपके साथ सहज रहेगा। बच्चे को माता-पिता के साथ रहना होगा। अगर दोनों नहीं तो कम से कम दोनों में से एक के साथ।
इस पर अंजू मोदी के वकील ने कहा, ‘तब नहीं जब एक माता-पिता दूसरे माता-पिता की मौत के लिए दोषी हो। इसके बाद बेंच ने कहा, ‘अभी नहीं। यह मीडिया ट्रायल नहीं है। यह एक अदालती मुकदमा है और केवल यहीं पर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है।’
अदालत ने दर्ज किया कि बच्चा अपनी मां की कस्टडी में है। जमानत की शर्तों का पालन करने के लिए उसे उसकी मां के साथ बेंगलुरु ले जाया जाएगा।
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बता दें कि 4 जनवरी को बेंगलुर अदालत ने इस मामले में निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी थी। बेंगलुरु पुलिस ने तीनों को 14 दिसंबर को उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया था। हालांकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निकिता सिंघानिया के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
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