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संगम नगरी में शुरू हुआ आस्था का महासंगम, अखाड़ा के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज बोले- 'संतों और श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक अवसर'

BY: Pratibha Pathak • LAST UPDATED : January 10, 2025, 11:39 am IST
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संगम नगरी में शुरू हुआ आस्था का महासंगम, अखाड़ा के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज बोले- 'संतों और श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक अवसर'

संगम नगरी में शुरू हुआ आस्था का महासंगम, अखाड़ा के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज संतों और श्रद्धालुओं के लिए ऐतिहासिक अवसर

India News (इंडिया न्यूज़),Mahakhubh Ka Mahamanch 2025: प्रयागराज में ऐतिहासिक महाकुंभ 2025 की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। संगम नगरी में श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो चुका है, और इस पवित्र अवसर पर बड़े-बड़े संतों का भी आगमन हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के लिए प्रयागराज का दो दिवसीय दौरा शुरू किया है। सीएम योगी ने डीपीएस हेलीपैड अरैल पर उतरकर नाव के जरिए स्नान घाटों का दौरा किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उनकी प्रतिबद्धता महाकुंभ को भव्य और सफल बनाने की ओर स्पष्ट दिख रही है।

144 वर्षों बाद हो रहा विशेष महाकुंभ

महाकुंभ इस बार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आयोजन 144 वर्षों बाद हो रहा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित होने वाला यह महापर्व दुनियाभर के श्रद्धालुओं और संतों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी जी महाराज ने इस आयोजन को लेकर संतों और श्रद्धालुओं के लिए इसे ऐतिहासिक अवसर बताया है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज की भूमि पर हर साल कुंभ जैसा आयोजन होता है, लेकिन महाकुंभ की अपनी अनूठी महत्ता है।

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विश्व स्तर पर केंद्रित हैं निगाहें

महाकुंभ की गूंज अब सात समंदर पार भी सुनाई दे रही है। भारत के प्रधानमंत्री और राज्य सरकार ने 2013 और 2019 के कुंभ के अनुभवों को आधार बनाकर इस बार की व्यवस्थाओं में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। इस आयोजन को देखने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु और पर्यटक पहुंच रहे हैं। मकर संक्रांति पर नागा साधुओं का शाही स्नान महाकुंभ का मुख्य आकर्षण होगा। संतों और साधुओं की छावनी में परंपराओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इस आयोजन से समाज में एकता, आस्था और परंपराओं का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिकता का उत्सव है, जो विश्व को एकता और शांति का संदेश देने का काम करेगा।

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Mahakhubh Ka Mahamanch 2025:

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