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“महाकुंभ का महामंच” में पहुंचे अटल अखाड़ा के प्रमुख आचार्य, जानिए क्या कुछ कहा?

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : January 10, 2025, 11:59 am IST
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“महाकुंभ का महामंच” में पहुंचे अटल अखाड़ा के प्रमुख आचार्य, जानिए क्या कुछ कहा?

Maha Kumbh ka Maha Manch 2025

India News (इंडिया न्यूज़),Maha Kumbh ka Maha Manch 2025:  “महाकुंभ का महामंच” 2025 का प्रयागराज में आगाज हो चुका है। रवीन्द्र पुरी महाराज, विश्वात्मा नन्द सरस्वती, आचार्य महामडलेश्वर, कल्पना पोटवारी, साक्षी महाराज के अलावा कई बड़े साधु संत शिरकत करने वाले हैं।  वहीं इस कार्यक्रम की शुरूआत  हिन्दू धर्म के अनुसार, दीप प्रज्वलित कर  शुभारंभ किया गया। अटल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज ने भी कर्यक्रम में पहुंचकर इसकी शौभा बढ़ाई।

अटल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का स्वागत  

“महाकुंभ का महामंच” 2025 कार्यक्रम में  आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज ने शिरकत की।  मंच पर शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया गया।  सबसे पहले शॉल ओढ़ाकर शंखदान किया गया। इंडिया न्यूज़ के एडिटर इन चीफ राणा यशवंत ने शॉल ओढ़ाकर और शंखदान कर उनका स्वागत किया।  अटल अखाड़ा के प्रमुख आचार्य ने इस मंच पर अपने कई विचार रखें।  इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि, महाकुंभ का उद्देश्य सभी धर्मों को साथ लेकर चलना है।  इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सनातन धर्म के बारे में लोगों को जागरूक किया।

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी ने क्या कहा?  

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी और इंडिया न्यूज़ के सहयोगी सुमित दोनो ने उन पहलुओं पर चर्चा की जो सनातन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।  मंच पर अटल अखाडे के बारे में विस्तार से बात की गई। बता दें कि, अटल अखाड़े का इतिहास पहुंत पुराना है।  कार्यक्रम में मंच पर पहुंचे इंडिया न्यूज़ के सहयोगी सुमित ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज से कई सवाल भी पूछे।

कब हुई थी अटल अखाड़े की स्थापना

16वीं शताब्दी में इस अखाड़े की शुरुआत हुई थी। अखाड़ों के ज्ञात इतिहास के अनुसार अखाड़ों की स्थापना के वर्ष के अनुसार सबसे पहले अटलानिया अखाड़ा की स्थापना हुई थी, क्योंकि इसकी स्थापना 569 ई. में हुई बताई जाती है। वहीं प्लास्टिसिटी की स्थापना भी 600 ई.पू. के बाद हुई बताई जाती है। 16वीं शताब्दी में कारखानों की पुनः स्थापना की गई। उस समय नागा साधुओं की संख्या अधिक होने के कारण नागा साधुओं के आश्रमों में बौद्ध धर्म की स्थापना की गई, क्योंकि पूरे देश में धर्म की रक्षा के लिए उन्हें एक स्थान या एक केंद्र से संचालित करना संभव नहीं था।

स्वच्छता ही भारत की पहचान है

इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन की ओर भी ध्यान दिया। इस महाकुंभ के दौरान सफाई अभियान भी बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं महाकुंभ को लेकर पीछले कुछ दिनों से जो भेदभाव की खबरे चर्चा में रही उन पर उन्होंने बात की। उन्होंने कहा कि, महाकुंभ सभी के लिए हर कोई आकर स्नान कर सकता है। वर्षों इंतजार करने के बाद इस पवित्र गंगा में सन्ना करने का शौभाग्या मिलता है।

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संतों का सड़क पर प्रदर्शन

संत सड़क पर उतरकर धरना दे रहे हैं, आरोप है कि अखाड़े में पानी की व्यवस्था ठीक नहीं है, संत अखाड़े में धरने पर बैठने को मजबूर हैं…धरने पर बैठे संतों ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने व्यवस्थाएं सुधारी हैं लेकिन जल संसाधन विभाग योगी आदित्यनाथ की छवि खराब कर रहा है। इसलिए उन्हें धरने पर बैठना पड़ रहा है। अखाड़ों के आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया गया है, संत सड़क पर धरने पर बैठे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संतों में काफी गुस्सा है

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