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India News (इंडिया न्यूज), Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर निगम के आउटसोर्स कर्मचारीयों के मामले में दायर की गई याचिका पर हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि याचिकाकर्ता को जो आपत्ति देना है, निगम परिषद की बैठक में दे सकता है। पहले परिषद को निर्णय लेने दें फिर भी आपत्ति है तो याचिका का विकल्प मौजूद है। वहीं याचिकाकर्ता ने आउटसोर्स कर्मचारी टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि 60 करोड़ रुपये के टेंडर को 65 करोड़ रुपये का किया जा रहा है?
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ग्वालियर नगर निगम को आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने का कॉन्ट्रैक्ट गुरुग्राम की कंपनी विलीव सोल्यूशन सर्विसेस को दिया गया है, जिसका विरोध BJP पार्षद कर रहे हैं। पार्षद बृजेश श्रीवास ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और कोर्ट में तर्क दिया गया कि नगर निगम में आउटसोर्स पर दो साल के लिए 1510 कर्मचारियों को रखने का ठेका जिस एजेंसी को दिया गया है वह फर्म फर्जी है, जबकि पार्षदों ने विरोध जताते हुए अपना डीसेंट नोट कराया था।
इसके बाद संभापति ने इसे स्वीकृत कर दिया, लेकिन BJP पार्षदों को हाई कोर्ट ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी है। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि अपनी आपत्ति पहले परिषद में दर्ज कराएं इसके बाद भी आपत्ति है तो उनके पास कानूनी विकल्प खुले हैं। अब इस एजेंडे पर 16 जनवरी को परिषद की बैठक होगी जहां आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती से जुड़े टेंडर में हुए संशोधन पर चर्चा होनी है। 17 जनवरी को सारी स्थिति कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दी जाएंगी। इसके बाद हाई कोर्ट अपना निर्णय देगा।
आपको बता दें कि नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने का मामला विवादों के घेरे में हैं। गुरुग्राम की बिलीव सोल्यूशन सर्विसेस से अनुबंध होने के बाद BJP पार्षदों ने आपत्ति लगाई तो निगम कमिश्नर अमन वैष्णव ने अनुबंध में संशोधन कर स्वीकृति के लिए परिषद के पास भेज दिया और हाई कोर्ट में सुनवाई में बताया है कि अनुबंध में संशोधन पर परिषद अब को निर्णय लेना है।
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