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राष्ट्रीय युवा महोत्सव में आयोजित ‘युवा नेतृत्व संवाद’ में महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने युवाओं के लिए अपने विचार साझा किए। उन्होंने युवा उद्यमियों के लिए अवसरों, कामकाजी घंटों की बहस, और गुणवत्तापूर्ण जीवन के महत्व पर गहन चर्चा की।
महिंद्रा से जब पूछा गया कि किस प्रकार कॉरपोरेट पहलें जैसे ‘महिंद्रा राइज़’ युवा नवाचारकों को उनके विचारों को साकार करने में मदद कर सकती हैं, उन्होंने कहा,
“यह सवाल कि हम उनकी मदद कैसे करेंगे, उलटा होना चाहिए। हम तभी उभर सकते हैं जब वे हमारी मदद करें। यह मंच इसलिए है ताकि मैं उनकी ऊर्जा से जुड़ सकूं। यहां बैठे 3000 में से हजारों संभावित यूनिकॉर्न्स मौजूद हैं। जब आप अपने स्टार्टअप्स शुरू करें, मुझे मैसेज करें ताकि मैं आपमें निवेश कर सकूं। हम तभी उठेंगे जब वे उठेंगे।”
उन्होंने बताया कि कैसे ‘एंटरप्राइज भारत’ जैसे प्लेटफॉर्म जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहन देते हैं। महिंद्रा ने प्रोफेसर अनिल गुप्ता के हनी बी नेटवर्क और समावेशी उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए उनके साथ साझेदारी की जानकारी दी।
कामकाजी घंटों को लेकर चल रही बहस पर, महिंद्रा ने स्पष्ट किया कि यह बहस दिशा से भटक चुकी है। उन्होंने कहा,
“यह बहस काम के घंटों की संख्या पर नहीं होनी चाहिए, बल्कि काम की गुणवत्ता पर होनी चाहिए। चाहे आप 10 घंटे काम करें या 90 घंटे, सवाल यह है कि आप कितनी गुणवत्ता का काम कर रहे हैं। यह काम की मात्रा नहीं, बल्कि उसके परिणाम मायने रखते हैं।”
महिंद्रा ने बताया कि आज का युवा यदि संतुलित जीवन जिएगा, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएगा, कला और संस्कृति में रुचि लेगा, तभी वह बेहतर निर्णय ले सकेगा।
उन्होंने युवा गतिविधियों को संगठित करने के लिए ‘माई भारत’ और ‘अस्पायर’ जैसे प्लेटफॉर्म को जोड़ने की सरकार की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा,
“विकसित भारत एक ऐसा मंच बनना चाहिए जहां हर युवा लॉग इन कर सके, मार्गदर्शन पा सके, और नेटवर्क का समर्थन मिल सके। हमें एक एकीकृत प्लेटफॉर्म की जरूरत है जो युवाओं के लिए परिवर्तनकारी साबित हो।”
महिंद्रा ने गांधीजी का हवाला देते हुए कहा कि जीवन में विचारों का खुलापन और विविधता जरूरी है। उन्होंने माना कि सफलता कभी-कभी कठिन परिश्रम और सीमित समय में कार्य पूरा करने की मांग करती है, लेकिन यह स्थायी नहीं होनी चाहिए।
आनंद महिंद्रा का यह प्रेरणादायक संवाद युवाओं को नवाचार, गुणवत्ता, और संतुलित दृष्टिकोण की शक्ति को समझाने वाला था। उन्होंने युवाओं को एक संदेश दिया: “अपने विचारों को आकार देने में झिझकें नहीं, और हर कदम पर सीखने और आगे बढ़ने का साहस रखें।”
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