1. पैकेजिंग डिटेल्स की जांच करें
- असली दवाओं की पैकेजिंग प्रीमियम होती है, जबकि नकली दवाओं के लेबल पर टाइपिंग या स्पेलिंग में गलतियां हो सकती हैं।
- हर दवा में बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट, और मैन्युफैक्चरर का पता जरूर होता है।
- सील का निरीक्षण करें। अटूटी और छेड़छाड़ से मुक्त सील होना जरूरी है।
2. दवा के रूप और गुणों को जांचें
- दवा का रंग, आकार, या बनावट पहले खरीदी गई दवा से अलग दिखे तो यह चेतावनी का संकेत हो सकता है।
- स्वाद या गंध में बदलाव भी नकली होने का संकेत दे सकता है।
- ऐसे में तुरंत डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें।
3. सोर्स पर भरोसा करें
- दवाएं हमेशा लाइसेंसशुदा फार्मेसी या नामी वेंडर्स से खरीदें।
- स्ट्रीट सेलर्स और अविश्वसनीय ऑनलाइन साइट्स से बचें।
- भारत में कम कीमत पर मिलने वाली प्रीमियम जेनेरिक दवाएं एक विश्वसनीय विकल्प हो सकती हैं।
4. जेनेरिक दवाओं की प्रामाणिकता की जांच करें
- जेनेरिक दवाएं नकली दवाओं के लिए सबसे अधिक निशाना बनती हैं।
- भरोसेमंद कंपनियों या चेन से ही दवाएं खरीदें।
- लेबल पर लिखे एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (API) को जांचें और डॉक्टर या फार्मासिस्ट से क्रॉस-वेरिफाई करें।
5. अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करें
- अगर किसी दवा को लेकर कोई भी संदेह हो, तो तुरंत उसे इस्तेमाल करना बंद करें।
- स्थानीय हेल्थ अथॉरिटी या फार्मासिस्ट से दवा की सत्यता की पुष्टि करें।
- नकली दवाओं से बचने के लिए जागरूकता फैलाना और सतर्क रहना जरूरी है।
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नकली दवाएं न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, बल्कि यह जानलेवा भी हो सकती हैं। सही स्रोतों से दवाएं खरीदें और ऊपर बताए गए दिशानिर्देशों का पालन करें। इससे न केवल आप खुद सुरक्षित रहेंगे, बल्कि इस समस्या के खिलाफ लड़ाई में भी योगदान देंगे।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।