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गांव में आई बाढ़ सब लोग भागे जान बचाने लेकिन…इस एक शख्स ने नहीं उठाया एक कदम, बोला- 'भगवान मुझे बचाएंगे और'?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : January 16, 2025, 4:00 pm IST
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गांव में आई बाढ़ सब लोग भागे जान बचाने लेकिन…इस एक शख्स ने नहीं उठाया एक कदम, बोला- 'भगवान मुझे बचाएंगे और'?

Viral News: गांव में आई बाढ़ सब लोग भागे जान बचाने लेकिन इस एक शख्स ने नहीं उठाया एक कदम

India News (इंडिया न्यूज), Viral News: जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत की आवश्यकता को समझाने के लिए एक कहानी बहुत महत्वपूर्ण है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि भाग्य और भगवान का आशीर्वाद तभी प्रभावी होता है जब हम खुद भी अपने प्रयासों से अपना काम करें। भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में कर्म करने की महत्ता पर जोर दिया है, क्योंकि बिना कर्म के कोई सफलता नहीं मिल सकती।

कहानी: लाला प्रसाद की

यह कहानी एक गांव के व्यक्ति, लाला प्रसाद की है। लाला प्रसाद भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। वह दिन-रात पूजा-पाठ करते और भगवान के आशीर्वाद पर पूरी तरह से भरोसा करते थे। उनके लिए भगवान ही सब कुछ थे और वह यह मानते थे कि उनके आशीर्वाद के बिना कुछ भी संभव नहीं है। एक दिन गांव में भीषण बाढ़ आई। गांव के लोग डर कर अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए, लेकिन लाला प्रसाद ने सोचा कि वह भगवान के भक्त हैं और भगवान उनका हमेशा ध्यान रखते हैं, इसलिए वह गांव नहीं छोड़ेंगे।

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लाला ने सोचा कि भगवान उनका बचाव करेंगे और उन्हें किसी भी नुकसान से बचाएंगे। धीरे-धीरे बाढ़ का पानी बढ़ने लगा और गांव में सब जगह पानी भरने लगा। कुछ लोग लाला प्रसाद से मिले और उन्हें साथ चलने का आग्रह किया, लेकिन लाला ने कहा, “जब तक भगवान मुझे बचाने नहीं आएंगे, मैं कहीं नहीं जाऊंगा।”

अब बाढ़ का पानी और तेज़ी से बढ़ने लगा। एक व्यक्ति नाव लेकर लाला के पास आया और उन्हें नाव में बैठने का प्रस्ताव दिया, लेकिन लाला ने कहा, “नहीं, तुम जाओ। मेरी मदद भगवान खुद करेंगे।” नाव वाला चला गया और लाला प्रसाद वहीं भगवान के आने का इंतजार करते रहे।

समय बीतते गए और बाढ़ का पानी और बढ़ता गया। अचानक एक पेड़ का तना उनके पास तैरता हुआ आया, जिससे वह बच सकते थे, लेकिन लाला ने फिर भी उसे नहीं लिया और भगवान के आने का इंतजार करते रहे। अंत में, पानी में डूबने से लाला की मृत्यु हो गई।

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भगवान से संवाद

लाला प्रसाद के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग पहुंची और भगवान से नाराज़ होते हुए पूछा, “हे भगवान, मैंने तुम्हारी पूजा की, तुम्हारा व्रत किया, तुमसे आशीर्वाद लिया, फिर भी तुम मेरी मदद क्यों नहीं आए?” भगवान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मूर्ख! मैं तुम्हारी मदद करने कई बार आया था। पहले नाव लेकर मैं ही आया था, लेकिन तुमने उसे स्वीकार नहीं किया। फिर वह पेड़ का तना भी मैंने ही भेजा था, लेकिन तुमने उस पर भरोसा नहीं किया। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।”

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि भगवान हमारे जीवन में मदद करने के कई तरीके भेजते हैं, लेकिन हमें उन अवसरों को पहचानने और उनका सही तरीके से लाभ उठाने की आवश्यकता होती है। जीवन में जब तक हम खुद मेहनत नहीं करेंगे, तब तक भगवान और भाग्य भी हमारी मदद नहीं कर सकते।

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भगवान हमें मदद भेजते हैं, लेकिन वह हमें खुद अपने प्रयासों से उसे स्वीकार करने का मौका देते हैं। भगवान का आशीर्वाद तभी प्रभावी होता है जब हम अपने प्रयासों के साथ उसे अपने जीवन में स्वीकार करते हैं। बिना कर्म के केवल भगवान का भरोसा रखने से जीवन में सफलता नहीं मिल सकती।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और भगवान के आशीर्वाद का सही संतुलन हमें जीवन में सफलता दिलाने का मार्ग है। हमें अपने प्रयासों के साथ-साथ भगवान पर विश्वास बनाए रखना चाहिए और उन अवसरों का लाभ उठाना चाहिए जो जीवन में हमारे लिए आते हैं।

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