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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली
ब्रह्म कुमारीज
कभी कभार कोई हमारे सामने या हमसे जुड़ी कुछ ऐसी बात बोल देता है जिसे भूलना अत्यंत कठिन हो जाता है। वो तो यह बात दो मिनट में कह जाते हैं लेकिन हमारे लिए उसे भूलने में दो महीने या दो साल तक लग जाते हैं। वह क्या सोचते हैं अपने बारे में…. उनकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने की…
दो मिनट में कुछ भी होता है आप उसे हमेशा के लिए याद रख लेते हैं… आप अपने दिमाग में उसे बात को दोहराते रहते हैं… जब किसी से बात होती है तब भी आप उस घटना जिक्र करते हैं। आपने मस्तिष्क में उस दृष्य का चित्रण हर समय करते ही रहते हैं।
आप हर समय उस घटना का विभिन्न एंगल्स से विभिन्न विश्लेषण करते रहते हैं और उसे सही-गलत-बुरा-दुखद आदि जैसी बातों से जज करने लगते हैं। आप जितनी बार उस घटना पर विचार करेंगे.. उतनी ही बार और उतनी ही ज्यादा आप नए-नए निष्कर्षों तक पहुंचते हैं। इनमें से अधिकांश का स्वभाव नकारात्मक ही होता है।
ऐसा करने से आप अपने मस्तिष्क में मौजूद इस घटना को और मजबूती प्रदान करते हैं… उस घटना से संबंधित यादें और अनुभव बार-बार आपके दिमाग में कौंधते रहते हैं। पहले वह आपके अवचेतन मन में होते हैं और धीरे-धीर वह आपकी चेतना में घर कर जाते हैं.. ऐसी स्थिति में वर्षों बाद भी आपको उनके द्वारा कही गई बातें याद रहती हैं।
जबकि जिस व्यक्ति ने वह बात कही थी वह तो कब का उस घटना को भूलकर आगे बढ़ चुका है… यह कुछ ऐसा है कि आपका पड़ोसी अपने घर का कूड़ा अपने घर से निकालकर आपके घर में फेंक कर भूल जाता है कि उसने कुछ किया था।अब उस कूड़े को साफ करने की जिम्मेदारी आपकी है… वह तो ऐसा कर अपने घर को साफ कर चुका है।
कोई आपसे अपशब्द कहता है और फिर इसे भूल जाता है…परंतु उन शब्दों का आपके ऊपर गहरा प्रभाव पड़ता है। हमें यह समझना चाहिए कि अतीत अब बीत चुका है… उसके साथ जुड़ी यादें भी बीत चुकी है… आपके पास अगर कुछ है तो वो है वर्तमान… जिसे जीना और अपने लिए खुशगवार बनाना आपकी जिम्मेदारी है।
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