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नागा साधुओं को क्यों बना दिया जाता है नपुंसक? ट्रेनिंग के दौरान घर की याद आई तो कर दिया जाता है ये काम, जानें क्या है नागा बनने की सही उम्र 

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : January 17, 2025, 8:12 pm IST
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नागा साधुओं को क्यों बना दिया जाता है नपुंसक? ट्रेनिंग के दौरान घर की याद आई तो कर दिया जाता है ये काम, जानें क्या है नागा बनने की सही उम्र 

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India News (इंडिया न्यूज),MahaKumbh:इस महाकुंभ में करीब 800 संन्यासी नागा साधु बनेंगे। कुंभ के अवसर पर संन्यासियों को नागा साधु बनाया जाता है। नागा साधु बनने की अंतिम प्रक्रिया अंगतोड़ होती है। यह एक कठिन और विशेष प्रक्रिया है, जिसे नागा साधु बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के जीवन में बहुत त्याग और तपस्या की मांग करती है। अंगतोड़ क्या है, जिसके बाद कोई नागा साधु बन सकता है।

क्या है अंगतोड़ प्रक्रिया ?

अंगतोड़ क्या है, जिसे करने के बाद व्यक्ति नागा साधु बन जाता है। यह एक कठिन और विशेष प्रक्रिया है, जिसे नागा साधु बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के जीवन में बहुत त्याग और तपस्या की मांग करती है। अंगतोड़ का शाब्दिक अर्थ है “अंग तोड़ना” लेकिन नागा साधु बनने के मामले में यह अलग है।वैसे, यहां अंगतोड़ प्रक्रिया का मतलब अंग तोड़ना नहीं है। यहां इसका मतलब है खुद को सांसारिक बंधनों से पूरी तरह मुक्त करना। इस प्रक्रिया के जरिए व्यक्ति सांसारिक सुख-सुविधाओं, परिवार और भौतिक चीजों से पूरी तरह विरक्त हो जाता है। अपना पूरा जीवन आध्यात्मिक साधना और तप को समर्पित कर देता है।

4 चरण में होती है ये प्रक्रिया

  • पूर्ण त्याग – साधु बनने की प्रक्रिया में व्यक्ति को अपने परिवार, संपत्ति और सभी सांसारिक बंधनों से खुद को मुक्त करना होता है। यह एक प्रकार का आध्यात्मिक त्याग है।
  • दीक्षा – नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को गुरु से दीक्षा लेनी होती है। दीक्षा के दौरान व्यक्ति को कुछ खास तरह की विधियों और मंत्रों का ज्ञान दिया जाता है।
  • तप और कठिन साधना – अंगतोड़ के बाद साधु को कठिन तप करना होता है। इसमें कठिन योग, ध्यान और साधना शामिल होती है, जो व्यक्ति को पवित्र और शक्तिशाली बनाती है।
  • अखंड ब्रह्मचर्य – नागा साधु बनने के लिए जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है। यह उनकी साधना का अहम हिस्सा होता है।
  • नग्नता का पालन – नागा साधु बनने के बाद साधु अपने शरीर पर कोई वस्त्र नहीं पहनता। वह पूरी तरह नग्नता का पालन करता है। यह सांसारिक बंधनों और भौतिक वस्त्रों से मुक्त होने का प्रतीक है।

बनाया जाता है नपुंसक

जी हां, अंगतोड़ की रस्म में उसके गुप्तांग की एक नस खींची जाती है। साधक नपुंसक हो जाता है। इसके बाद सभी शाही स्नान के लिए जाते हैं। डुबकी लगाते ही वे नागा साधु बन जाते हैं।अंगतोड़ की प्रक्रिया से व्यक्ति उच्च आध्यात्मिक अवस्था को प्राप्त करता है। वह नागा साधु के रूप में अपनी साधना जारी रखता है। यह प्रक्रिया बहुत कठिन है। इसे केवल वही लोग सफलतापूर्वक पूरा कर पाते हैं जिनमें गहरी आस्था और दृढ़ संकल्प होता है।

कुंभ एक आदर्श समय

कुंभ मेले के दौरान नागा साधुओं को दीक्षा देने और बनाने की परंपरा के पीछे कई ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं। कुंभ मेले के दौरान लाखों साधु, संत और श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। साधुओं और विभिन्न अखाड़ों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब वे अपने अनुयायियों को दीक्षा देते हैं। नागा साधुओं की दीक्षा के लिए यह एक आदर्श समय माना जाता है क्योंकि इस समय साधु, संत और गुरुओं का एक बड़ा जमावड़ा होता है।

नागा बनने की उम्र क्या है?

आमतौर पर नागा बनने की उम्र 17 से 19 साल होती है। इसके तीन चरण होते हैं- महापुरुष, अवधूत और दिगंबर। हालांकि, इससे पहले एक पूर्व चरण यानी एक परीक्षण अवधि होती है। जो भी व्यक्ति नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में आता है, उसे पहले वापस भेज दिया जाता है। इसके बाद भी अगर वह नहीं मानता है, तो अखाड़ा उसकी पूरी जांच करता है।

ऐसे होती है जांच

अखाड़े के लोग उम्मीदवार के घर जाते हैं। वे परिवार के लोगों से कहते हैं कि आपका बेटा नागा बनना चाहता है। अगर परिवार राजी हो जाता है तो अभ्यर्थी का आपराधिक रिकॉर्ड चेक किया जाता है।फिर नागा बनने वाले व्यक्ति को गुरु बनाना पड़ता है। उसे अखाड़े में रहकर दो-तीन साल तक सेवा करनी होती है। उसका काम वरिष्ठ संन्यासियों के लिए खाना बनाना, उनके स्थान साफ ​​करना, साधना करना और शास्त्रों का अध्ययन करना होता है।फिर उसे घर वापस भेज दिया जाता है। वह दिन में सिर्फ एक बार खाना खाता है। वह वासना, नींद और भूख पर नियंत्रण करना सीखता है। इस दौरान यह देखा जाता है कि वह मोह और माया के जाल में तो नहीं फंस रहा है। उसे अपने परिवार की याद तो नहीं आ रही है। अगर कोई अभ्यर्थी गुमराह पाया जाता है तो उसे घर भेज दिया जाता है।

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