संबंधित खबरें
यूरिक एसिड ने जीना कर दिया है मुहाल? तो गेहूं की जगह खाएं इस अनाज की रोटी, जड़ से चूस लेगा सारी गंदगी
जितनी ज्यादा देर रहेंगे भूखे, खुद को ही खा जाएगा आपका शरीर…बड़ी रिसर्च ने उड़ाए हर एक डाइट करने वालो के होश!
कहीं आप भी तो नहीं कर रहे लंच में ये 3 बड़ी गलतियां? शुगर का मरीज बनाकर छोड़ेगी आपकी ये रोज की भूल!
क्या जानते है आप लहसुन को रोज देसी घी में फ्राई करके खाने के अनगिनत फायदे? गिनते रह जाएंगे आप और ये दिखायेगा अपना कमाल!
सुबह उठते ही बस कर लीजिये ये 1 काम, आंतों से चिपकी जिद्दी गंदगी हो जाएगी 3 दिनों में साफ़, पाचन शक्ति करेगी मजबूत!
शरीर के कोने-कोने में जमी है चर्बी, सुबह उठकर जो इस काली बीज का पी लिया पानी, अपने आप पिघलने लगेगी सारी गंदगी!
India News (इंडिया न्यूज), Facts About Human Body: मनुष्य के शरीर से आने वाली गंध उसकी पहचान और प्रकृति को दर्शाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह गंध हमेशा एक जैसी नहीं रहती? यह व्यक्ति की उम्र और शरीर की गतिविधियों के अनुसार बदलती रहती है। आइए, इस रोचक विषय पर विस्तार से जानते हैं।
बचपन में शरीर की गंध आमतौर पर हल्की और सौम्य होती है। इसका मुख्य कारण है कि इस उम्र में पसीने की ग्रंथियां, विशेष रूप से एक्राइन ग्लैंड, कम सक्रिय रहती हैं। इसके साथ ही, बच्चों की त्वचा का माइक्रोबायोम, जो विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवों का समूह होता है, गंध को नियंत्रित करता है। इस वजह से इस उम्र में पसीने की गंध इतनी तीव्र नहीं होती।
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही शरीर में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। इस समय सेक्स हार्मोन्स (एंड्रोजन) का स्राव बढ़ जाता है, जो शरीर की गंध को गहराई और तीव्रता प्रदान करता है। एंड्रोजन, पसीने वाली ग्रंथियों (एक्राइन और एपोक्राइन) और सेबेसियस ग्लैंड (त्वचा की वसामय ग्रंथि) को सक्रिय करता है। इन ग्रंथियों से निकलने वाले स्राव और त्वचा के बैक्टीरिया के संपर्क से शरीर में विशेष प्रकार की महक उत्पन्न होती है। इस चरण में गंध व्यक्ति के खान-पान, पर्यावरण और जीवनशैली पर भी निर्भर करती है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की गंध में भी बदलाव आता है। 40 की उम्र के बाद, त्वचा की संरचना और कार्यप्रणाली में परिवर्तन होने लगता है। त्वचा की लोच कम होने लगती है और पसीने की ग्रंथियों की सक्रियता घटने लगती है। इससे पसीने का उत्पादन और उसकी गंध बदलने लगती है।
इस उम्र में त्वचा में फैटी एसिड, जैसे ओमेगा 7 और पलमाइटोलिक एसिड की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। ये तत्व त्वचा की प्राकृतिक गंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन परिवर्तनों के कारण शरीर की गंध में एक विशिष्ट परिवर्तन देखने को मिलता है। यह परिवर्तन उम्र के साथ स्वाभाविक है और शरीर के अंदरूनी बदलावों को दर्शाता है।
शरीर की गंध केवल उम्र के प्रभाव से ही नहीं बदलती, बल्कि स्वास्थ्य की स्थिति भी इसमें अहम भूमिका निभाती है। जैसे:
मनुष्य के शरीर की गंध उसके जीवन के हर चरण में अलग होती है। यह बदलाव उम्र, हार्मोन, त्वचा की संरचना और जीवनशैली के अनुसार होता है। शरीर की गंध को समझना न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है। शरीर की गंध को लेकर सतर्क और जागरूक रहना, स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली की ओर एक सकारात्मक कदम है।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.