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India News (इंडिया न्यूज), Xi Jinping: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी, 2025 को शपथ लेंगे। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बीच खबर आ रही है कि, डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से पहले अमेरिका के धुर विरोधी चीन में काफी टेंशन है। शुक्रवार शाम को चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बात की। दुनिया की राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। बताया जा रहा है कि, चीन अब अमेरिका से लचीले रुख की उम्मीद कर रहा है, लेकिन ट्रंप ने हाल के दिनों में जिस तरह के कड़े बयान दिए हैं, उससे चीन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
अमेरिका से दोस्ती बढ़ाने के चक्कर में चीन भारत के खिलाफ चाल चलने से बाज नहीं आ रहा है। चीन भारत को घेरने के लिए नई-नई साजिशें रच रहा है। भारत के खिलाफ चाल चलने के लिए चीन ने नया मास्टर प्लान तैयार किया है। लाल सुल्तान की साजिशों की नई सीरीज सामने आई है। जिनपिंग ने अपने विस्तारवाद के नए अध्याय में अब भारत के बेहद करीबी पड़ोसी को भी शामिल कर लिया है, लेकिन चीन ने अब भारत के खिलाफ पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ-साथ पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका के कंधे पर बंदूक रख दी है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके जब चीन की चार दिवसीय यात्रा पर बीजिंग पहुंचे तो जिनपिंग ने एक बार फिर बैठक के दौरान बेल्ट एंड रोड पहल को बढ़ावा देने की कोशिश की। इसके साथ ही चीन ने श्रीलंका में एक और हंबनटोटा बंदरगाह बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्ज में डूबे श्रीलंका ने चीन के साथ 3.7 अरब डॉलर का सौदा किया है। दोनों देशों के बीच यह सौदा एक तेल रिफाइनरी बनाने को लेकर है। दावा किया जा रहा है कि इस रिफाइनरी की रोजाना उत्पादन क्षमता 2 लाख बैरल होगी। यह तेल रिफाइनरी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के पास बनेगी।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, चीन ने 2017 में हंबनटोटा पर कब्जा कर लिया था। कर्ज न चुका पाने की वजह से श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीन को दे दिया था। श्रीलंका के साथ चीन की यह नई डील भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि चीन श्रीलंका के दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा के पास अपनी तेल रिफाइनरी बनाएगा। हंबनटोटा में चीन पहले ही बंदरगाह बना चुका है। फिर उसने इस पर कब्जा भी कर लिया। चीन हंबनटोटा बंदरगाह को भारत के खिलाफ रणनीतिक अड्डे के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में आशंका बढ़ गई है कि चीन की नई रिफाइनरी भी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की साजिशों का हिस्सा हो सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन और श्रीलंका के बीच यह डील ड्रैगन की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह छोटे-छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करता रहा है। कर्ज के बदले चीन के जाल में फंसे देशों की सूची में सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, लाओस, कंबोडिया और अफ्रीकी देश ही शामिल नहीं हैं। बल्कि मालदीव भी ड्रैगन के झांसे में आए देशों की सूची में शामिल है। श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह की तरह ही चीन ने मालदीव के एक पूरे द्वीप को भी कर्ज के बदले लीज पर ले लिया है। मतलब, उस पर कब्जा कर लिया है। चीन ने अब श्रीलंका को अपना गुलाम बनाने के लिए अपना अगला दांव खेला है।
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