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कौन है भारतीय मूल के जियाउर रहमान जो अपनी जन्मभूमि के लिए बना 'शैतान', बांग्लादेश में कैसे मिली इतनी इज्जत?

BY: Shubham Srivastava • LAST UPDATED : January 20, 2025, 2:24 pm IST
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कौन है भारतीय मूल के जियाउर रहमान जो अपनी जन्मभूमि के लिए बना 'शैतान', बांग्लादेश में कैसे मिली इतनी इज्जत?

Who was Ziaur Rahman

India News(इंडिया न्यूज), Who was Ziaur Rahman : भारत के पड़ोसी देश में सत्ता परिवर्तन के बाद सब बदलता हुआ नजर आ रहा है। खबरों के मुताबिक वहां की यूनुस सरकार देश को तानाशाही के दौर में वापस ले जाने पर उतारू लग रही है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक अब देश के नए सिलेबस में पढ़ाया जाएगा कि बांग्लादेश को आजादी शेख मुजीबुर्रहमान ने नहीं बल्कि जियाउर रहमान ने दिलाई थी।

बांग्लादेश में मुजीब को बंगबंधु के नाम से जाना जाता है। वहीं जिया-उर-रहमान बांग्‍लादेश के एक मिलिट्री शासक था। उसने साल 1977 से 1981 तक करीब चार साल तक राष्‍ट्रपति के रूप में देश की सत्‍ता संभाली। ऐसा कहा जाता है कि जिया-उर रहमान ने बांग्‍लादेश की सत्‍ता पाने के लिए बहुत से मिलिट्री अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था।

जियाउर रहमान का इतिहास

जियाउर रहमान का जन्म 19 जनवरी 1936 को बंगाल के बागबारी में हुआ था। जियाउर रहमान को प्यार से जिया कहा जाता था। उनके पिता मंसूर रहमान एक रसायनज्ञ थे। जिया का बचपन कोलकाता और बोगरा में बीता। विभाजन के बाद मंसूर रहमान को कराची भेज दिया गया। जिसके बाद जिया की आगे की पढ़ाई कराची में हुई। बांग्लादेश की आजादी के वक्त जिया मेजर के पद पर तैनात थे। बाद में उन्हें मुक्ति का सेक्टर कमांडर बनाया गया। 1971 में बांग्लादेश को आजादी मिली। अगले साल 1972 में जियाउर रहमान को कर्नल के तौर पर पदोन्नति मिली।

पाकिस्तानी सेना के खुफिया विभाग में भी किया काम

साल 1953 में जिया ने एक कैडेट के तौर पर काकुल स्थित पाकिस्तान सैन्य अकादमी ज्वाइन की। दो साल बाद 1955 में उन्हें सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर कमीशन मिला। इसके बाद करीब पांच साल तक जिया ने पाकिस्तान सेना के खुफिया विभाग में भी काम किया। साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ गई। इस जंग में खेमकरण सेक्टर में जियाउर रहमान ने भारत के खिलाफ जंग लड़ी।

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पाक सेना के खिलाफ किया विद्रोह

बांग्लादेश के इतिहास के पन्नों में ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ काले अक्षरों में लिखा गया है। ऑपरेशन सर्चलाइट, 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने लॉच किया था। इस दिन बांग्लादेश में मानवसंहार हुआ था। इसी के बाद मेजर जियाउर रहमान ने पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह कर दिया। 26 मार्च को जियाउर रहमान ने चटगांव के कलुरघाट रेडियो स्टेशन से आजादी का एलान किया। उनके बोले थे, “मैं मेजर जिया, बांग्लादेश मुक्ति सेना का प्रोविजनल कमांडर-इन-चीफ… बांग्लादेश की आजादी की घोषणा करता हूं।” अब मोहम्मद यूनिस की सरकार इसी घोषणा के आधार पर जिया को आजादी का क्रेडिट दे रही है।

जियाउर रहमान का शासन

पाकिस्तान से आजादी मिलने के बाद बांग्लादेश अलग देश बना तो शेख मुजीबुर्रहमान पहले राष्ट्रपति बने। 7 मार्च 1973 को मुजीब पहली बार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री बने। मगर दो साल बाद 1975 में बांग्लादेश को सैन्य तख्तापलट का सामना करना पड़ा। सैन्य विद्रोह में शेख मुजीब, उनकी पत्नी और तीन बेटों की हत्या कर दी गई। नए राष्ट्रपति खुंदकार मुश्ताक अहमद ने पद संभाला। उन्होंने जिया को सेना प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी।

कैसे हुई थी हत्या?

1960 में जिया की शादी खालिदा जिया के संग हुई। 25 मई को जिया ने चटगांव जाने का फैसला किया। इसी दिन चटगांव के जीओसी मेजर जनरल मोहम्मद अबुल मंजूर का ढाका तबादला कर दिया गया। बताया जाता है कि मंजूर को यह तबादला पसंद नहीं आया। फिर मेजर जनरल अबुल मंजूर के पास दोस्त लेफ्टिनेंट कर्नल मोतीउर रहमान को जब तबादला की जानकारी मिली तो वह आग बबूला हो उठा। इसके बाद मोती ने 29 मई को ही जिया की हत्या की साजिश रचने की कोशिश की। फिर 30 मई की सुबह जगह के बाद वह जैसे ही बाहर आते हैं, उनका सामना विद्रोहियों से होता। सैन्य विद्रोही पूरी मशीन गन उन पर खाली कर दी गई।

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