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Trump की इस डिपार्टमेंट का हिस्सा नहीं होंगे विवेक रामास्वामी, व्हाइट हाउस के इस फैसले से सकते में आ गए सभी भारतीय

BY: Sohail Rahman • LAST UPDATED : January 21, 2025, 9:33 am IST
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Trump की इस डिपार्टमेंट का हिस्सा नहीं होंगे विवेक रामास्वामी, व्हाइट हाउस के इस फैसले से सकते में आ गए सभी भारतीय

Vivek Ramaswamy (विवेक रामास्वामी)

India News (इंडिया न्यूज), Vivek Ramaswamy: भारतीय मूल के उद्यमी विवेक रामास्वामी अब डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) का हिस्सा नहीं रहेंगे। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी घोषणा की थी और अरबपति एलन मस्क के साथ उन्हें नेतृत्व के लिए चुना था। आयोवा कॉकस में डोनाल्ड ट्रंप से हारने के बाद 38 वर्षीय उद्यमी विवेक रामास्वामी ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया। उन्होंने ओहियो के गवर्नर के लिए चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। ट्रंप के शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों बाद रामास्वामी को DOGE से हटाए जाने की पुष्टि हुई। गवर्नमेंट एफिशिएंसी कमीशन की प्रवक्ता एना केली ने DOGE के गठन में रामास्वामी की ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ की प्रशंसा की।

ट्रंप ने मस्क और रामास्वामी को किया था नियुक्त

केली ने एक बयान में कहा, ‘वह चुनाव लड़ना चाहते हैं जिसके लिए उन्हें DOGE से बाहर रहना होगा, जो आज घोषित संरचना पर आधारित है। हम पिछले दो महीनों में उनके योगदान के लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अमेरिका को फिर से महान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।’ आपको बता दें कि, पिछले साल नवंबर में ट्रंप ने मस्क और रामास्वामी को DOGE का सह-नेता नियुक्त किया था। DOGE का नाम मस्क की पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर रखा गया है, जिसका उद्देश्य संघीय संचालन को सुव्यवस्थित करना और साथ ही फिजूलखर्ची को कम करना है। अपने नाम के बावजूद, विभाग सरकार के बाहर काम करेगा।

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भारतीय मूल के हैं विवेक रामास्वामी

39 वर्षीय विवेक रामास्वामी टेक सेक्टर के बड़े कारोबारी हैं। उनका जन्म तमिल भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। विवेक रामास्वामी के माता-पिता बचपन में ही केरल से अमेरिका चले गए थे। उनका पालन-पोषण ओहियो में हुआ। वे रोमन कैथोलिक स्कूल गए लेकिन वे अक्सर अपने परिवार के साथ मंदिर जाते थे। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बायोलॉजी की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद वे येल लॉ स्कूल गए। इसके अलावा, उन्होंने हेज फंड निवेशक के तौर पर काम किया है। येल यूनिवर्सिटी से स्नातक होने से पहले ही उन्होंने लाखों डॉलर कमा लिए थे। 2014 में उन्होंने बायोटेक कंपनी रोइवेंट साइंसेज की स्थापना की, जो दवाओं के लिए बड़ी कंपनियों से पेटेंट खरीदती है। उन्होंने 2021 में इस कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक 2023 में उनकी कुल संपत्ति करीब 630 मिलियन डॉलर थी।

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