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जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु समेत 19 प्रोफेसरों पर FIR, इस्तीफे और धारा लागू करने की मांगे हुई तेज

BY: Shagun Chaurasia • LAST UPDATED : January 23, 2025, 12:44 pm IST
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जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु समेत 19 प्रोफेसरों पर FIR, इस्तीफे और धारा लागू करने की मांगे हुई तेज

Jiwaji University

India News (इंडिया न्यूज), Jiwaji University: मध्य प्रदेश के ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी में कुलगुरु प्रोफेसर अविनाश तिवारी समेत 19 प्रोफेसरों के खिलाफ आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) द्वारा FIR दर्ज किए जाने के बाद विवाद और बढ़ गया है। इस मामले में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने कुलगुरु के इस्तीफे और यूनिवर्सिटी में धारा 52 लागू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है।

प्रदर्शन और पोस्टर अभियान

NSUI के छात्रों ने यूनिवर्सिटी परिसर में कुलगुरु के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए “भ्रष्ट कुलपति इस्तीफा दो” और “जीवाजी की मजबूरी है, धारा 52 जरूरी है” जैसे पोस्टर लगाए। इन पोस्टरों को कुलगुरु के कार्यालय और परिसर में प्रमुख स्थानों पर चिपकाया गया। NSUI ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि कुलगुरु प्रोफेसर अविनाश तिवारी को तत्काल पद से हटाया जाए।

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क्या है पूरा मामला

पिछले एक साल से NSUI कुलगुरु के खिलाफ आंदोलन कर रही है। छात्रों ने भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भूख हड़ताल तक की थी। हाल ही में मुरैना जिले के झुंडपुरा में शिव शक्ति कॉलेज के फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद EOW ने जांच तेज कर दी। इस कॉलेज को कागजों पर 11 साल से संचालित दिखाया गया था। जांच में सामने आया कि इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। इसी के तहत कुलगुरु और 19 अन्य प्रोफेसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

नेताओं की मांग

NSUI के नेताओं का कहना है कि जीवाजी यूनिवर्सिटी के प्रशासन में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। छात्र नेता लंबे समय से इन गड़बड़ियों को उजागर करने की कोशिश कर रहे थे। NSUI का कहना है कि धारा 52 लागू करना ही समस्या का स्थायी समाधान है। फर्जी शिव शक्ति कॉलेज के मामले में EOW ने कुलगुरु समेत 19 प्रोफेसरों की संलिप्तता का खुलासा किया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियों का दुरुपयोग कर फर्जी कॉलेज को मान्यता दी और अनियमितताओं को संरक्षण दिया।

छात्र संगठन की मांगे

जीवाजी यूनिवर्सिटी का यह मामला शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करता है। NSUI के विरोध के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। छात्र संगठन की मांग है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और यूनिवर्सिटी में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

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