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India News (इंडिया न्यूज), Remedies For Mauni Amavasya-2025: हिंदू धार्मिक मान्यताओं में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इसे पितरों को समर्पित तिथि माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, और पितरों के नाम से तर्पण करने से उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से माघ मास की अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या कहा जाता है, धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर अपने वंशजों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं। यदि आप पितृ दोष से परेशान हैं या जीवन में किसी प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो मौनी अमावस्या पर किए गए विशेष उपाय पितृ दोष से मुक्ति दिला सकते हैं।
मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है “मौन” यानी चुप रहना। इस दिन मौन रहकर भगवान का ध्यान करने से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी के अनुसार, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
माघ मास की अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। अमावस्या तिथि पर पितरों का वास पीपल के पेड़ में माना जाता है, और इस दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करने से पितरों को शांति मिलती है।
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मौनी अमावस्या न केवल पितरों को प्रसन्न करने का अवसर है, बल्कि आत्मिक शांति और जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने का दिन भी है। इस दिन मौन रहकर और धार्मिक गतिविधियों में संलग्न होकर व्यक्ति आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त कर सकता है।
इस पवित्र अवसर पर किए गए स्नान, दान और तर्पण न केवल पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने में भी सहायक होते हैं।
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