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मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद भूलकर भी करना ना भूले ये 1 काम…बरसो से नाराज बैठे पितरों को भी कर देगा शांत, जानें तरीका?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : January 25, 2025, 6:00 pm IST
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मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद भूलकर भी करना ना भूले ये 1 काम…बरसो से नाराज बैठे पितरों को भी कर देगा शांत, जानें तरीका?

Remedies For Mauni Amavasya-2025: मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद भूलकर भी करना ना भूले ये 1 काम

India News (इंडिया न्यूज), Remedies For Mauni Amavasya-2025: हिंदू धार्मिक मान्यताओं में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इसे पितरों को समर्पित तिथि माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, और पितरों के नाम से तर्पण करने से उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से माघ मास की अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या कहा जाता है, धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर अपने वंशजों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं। यदि आप पितृ दोष से परेशान हैं या जीवन में किसी प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो मौनी अमावस्या पर किए गए विशेष उपाय पितृ दोष से मुक्ति दिला सकते हैं।

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है “मौन” यानी चुप रहना। इस दिन मौन रहकर भगवान का ध्यान करने से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी के अनुसार, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

माघ मास की अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। अमावस्या तिथि पर पितरों का वास पीपल के पेड़ में माना जाता है, और इस दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करने से पितरों को शांति मिलती है।

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पितृ दोष से मुक्ति के उपाय

1. स्नान और शुद्धिकरण

  • मौनी अमावस्या पर सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और जीवन को सकारात्मकता से भरता है।

2. तर्पण और पिंडदान

  • इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करना आवश्यक माना गया है। किसी पवित्र नदी में काला तिल डालकर पितरों को जल अर्पण करें। इससे पितरों की कृपा बनी रहती है और परिवार में सुख-शांति आती है।

3. दान-पुण्य

  • मौनी अमावस्या पर ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना, वस्त्र, आटा, गुड़, फल, कंबल आदि का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

4. पीपल के पेड़ की पूजा

  • अमावस्या तिथि पर पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इससे पितरों को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

5. कच्चे दूध का प्रवाह

  • कच्चे दूध में जौ, तिल और चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है। यह उपाय पितृ दोष को शांत करने के लिए बहुत प्रभावी होता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है।

6. हवन और धूप

  • इस दिन घर में हवन करना शुभ माना जाता है। यदि संभव न हो, तो गाय के गोबर से बने उपले जलाकर उस पर घी और गुड़ की धूप दें। साथ ही ‘पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु’ मंत्र का उच्चारण करें। यह उपाय घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

7. गाय को भोजन कराना

  • हिंदू धर्म में गाय को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना गया है। इस दिन विशेष रूप से हरा चारा, गुड़, और रोटी गाय को खिलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।

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मौनी अमावस्या: एक आध्यात्मिक यात्रा

मौनी अमावस्या न केवल पितरों को प्रसन्न करने का अवसर है, बल्कि आत्मिक शांति और जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने का दिन भी है। इस दिन मौन रहकर और धार्मिक गतिविधियों में संलग्न होकर व्यक्ति आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त कर सकता है।

इस पवित्र अवसर पर किए गए स्नान, दान और तर्पण न केवल पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने में भी सहायक होते हैं।

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