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India News (इंडिया न्यूज), Facts About Aghori Sadhu Maut: प्रयागराज के महाकुंभ मेले में हर बार अघोरी बाबा और नाग साधु लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनते हैं। इन साधुओं का जीवन बेहद रहस्यमय और असाधारण होता है, जिससे जनसामान्य हमेशा उनकी दिनचर्या और परंपराओं के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है। खासतौर पर अघोरी साधुओं की जीवनशैली और उनकी अंतिम क्रियाओं से जुड़ी परंपराएं लोगों के बीच जिज्ञासा का विषय बनी रहती हैं।
अघोरी साधु अपने तप और साधना के लिए जाने जाते हैं। वे जीवन के सामान्य नियमों से परे जाकर ध्यान, योग और तंत्र साधना करते हैं। यह माना जाता है कि अघोरी साधु मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत कठोर साधना करते हैं और वे सांसारिक मोह-माया से पूरी तरह मुक्त होते हैं। उनका रहन-सहन और भोजन भी असामान्य होता है, जो उन्हें साधारण मनुष्यों से अलग बनाता है।
अघोरी साधुओं के अंतिम संस्कार की विधियां साधारण मनुष्यों से बिल्कुल अलग और रहस्यमय होती हैं। यह परंपराएं उनकी आध्यात्मिक मान्यताओं और तंत्र साधना से जुड़ी होती हैं।
नाग साधु भी कुंभ मेले का एक अहम हिस्सा होते हैं। ये साधु पूर्णतः नग्न रहते हैं और कठोर तपस्या में लीन रहते हैं। उनकी दिनचर्या में ध्यान, योग और भगवान शिव की आराधना प्रमुख होती है। नाग साधु युद्ध कौशल में भी पारंगत होते हैं और स्वयं को भगवान शिव का अनन्य भक्त मानते हैं।
कुंभ मेले में इन साधुओं की उपस्थिति श्रद्धालुओं को गहराई से प्रभावित करती है। लोग उनके आशीर्वाद और उनके अनूठे जीवन दर्शन को समझने के लिए उमड़ते हैं।
अघोरी और नाग साधु भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का गहन हिस्सा हैं। उनकी जीवनशैली, साधना, और परंपराएं आम जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। प्रयागराज के महाकुंभ मेले में इन साधुओं को करीब से देखना और उनकी परंपराओं को समझना एक दुर्लभ अनुभव है, जो जीवन में आध्यात्मिकता के नए आयाम खोल सकता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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