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India News (इंडिया न्यूज), MP News: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के प्रतिष्ठित MGM मेडिकल कॉलेज में फर्जी नियुक्तियों का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बिना आवेदन और इंटरव्यू के डॉक्टरों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया, जिससे वे हर महीने 1.5 लाख रुपये तक कमा रहे हैं।
क्या है मामला?
2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इंदौर को “स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई” की सौगात दी गई थी। इसके तहत छह डॉक्टरों की नियुक्ति हुई। शिकायतकर्ता डॉ. कमल गोस्वामी का आरोप है कि इनमें से तीन डॉक्टर—डॉ. ऋषि गुप्ता, डॉ. टीना अग्रवाल, और डॉ. मीता जोशी—को बिना आवेदन, इंटरव्यू या उचित कागजी कार्रवाई के नियुक्त किया गया। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि इन डॉक्टरों के आवेदन फॉर्म या क्वालिफिकेशन दस्तावेज समिति को नहीं मिले। केवल शुल्क रसीद और रजिस्टर एंट्री के आधार पर उन्हें पद के लिए पात्र घोषित कर दिया गया।
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शिकायत और जांच का सफर
डॉ. गोस्वामी ने 2020 और 2021 में आरटीआई लगाई, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद भोपाल में स्वास्थ्य आयुक्त से अपील की गई। लंबे संघर्ष और शिकायतों के बाद, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति रावत की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि डॉ. मीता जोशी ने एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर दोनों पदों के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका कोई फॉर्म उपलब्ध नहीं है। वहीं, डॉ. टीना अग्रवाल के आवेदन में नाम के बजाय “विशेषज्ञता” का उल्लेख था।
आगे की कार्रवाई
जांच रिपोर्ट डीन द्वारा भोपाल भेज दी गई है, जहां आगे की कार्रवाई होगी। इस घोटाले ने न केवल कॉलेज की साख पर सवाल उठाए हैं, बल्कि चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार की पोल भी खोल दी है। यह खुलासा दर्शाता है कि किस तरह से सिस्टम में गड़बड़ी कर योग्य उम्मीदवारों को पीछे छोड़कर अनियमित नियुक्तियां की गईं। मामला अब मुख्यमंत्री के पास है, और कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
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