होम / धर्म / History And Importance Of Makar Sankranti वागड़ में कावड गाथा सुनाने की एक और परम्परा हुई लुप्त

History And Importance Of Makar Sankranti वागड़ में कावड गाथा सुनाने की एक और परम्परा हुई लुप्त

PUBLISHED BY: Mukta • LAST UPDATED : January 13, 2022, 1:04 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

History And Importance Of Makar Sankranti वागड़ में कावड गाथा सुनाने की एक और परम्परा हुई लुप्त

History And Importance Of Makar Sankranti

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
गोपेंद्र योगेन्द्र भट्ट
History And Importance Of Makar Sankranti मकर सक्रांति से पहले दिसम्बर-जनवरी की हाड़ कंपकंपा देने वाली सर्द रातों में कुछ दशक पूर्व तक वागड़ क्षेत्र के नगर, कस्बों और गांवों की गलियों में सूर्यास्त के बाद से ही पसर जाने वाले गहरे सन्नाटे को जोगी समाज के लोक गायक अपने लोक वाद्य तम्बूरा (एक तारा) की सुमधुर धुन पर श्रवण कुमार और कावड में बैठे उनके अन्धे माता-पिता से जुड़ी दिल को छू जाने वाली करुण कथा के काव्य रस धारा से तोड़ते थे। बचपन में हम भाई बहन अपने घर के झरोखों से छुप कर उन सफेदपोश वेश और पगड़ी धारी जोगियों को देखा करते थे और हमारी जिया (माता) और अन्य अड़ोसी-पड़ोसी उन्हें अनाज, कपड़े आदि के साथ ही गुड एवं तिल-मूँगफली से बनी चीजें देते थे।

भजन सुनाने का प्रचलन हुआ लगभग विलुप्त (History And Importance Of Makar Sankranti)

दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग के गुजरात और मध्य प्रदेश से सटे वागड़ के ऐतिहासिक नगर डूंगरपुर शहर में मकर सक्रांति हकरत (वागड़ में मकर सक्रांति को वागड़ी भाषा में हकरत कहा जाता है) के अवसर पर यहाँ के जोगी समाज के लोक गायकों द्वारा गाई जाने वाली कावड़ गाथा हंय के राजा पेला जमाने बेटे कावेड़े, हंय के राजा..आना जमाना बेटा गाबेड़े…भजन सुनाने का प्रचलन और परम्परा देव दिवाली पर बेडियु निकालने की परम्परा की तरह ही अब लगभग लुप्त प्राय: हो गई है।

Happy Makar Sankranti Best Wishes for Facebook and Whatsapp

इन कलाकारों की लोक कथाओं को कला मर्मज्ञ पद्म भूषण कोमल कोठारी ने जोधपुर के बोरूँदा में अपनी रूपायन संस्था के लिए रिकार्ड किया था। इसी प्रकार आकाशवाणी, दूरदर्शन और बागौर की हवेली,उदयपुर में संचालित पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र ने भी इन कलाकारों की रिकोर्डिंग करवाई थी। कोमल कोठारी ने राजस्थान की लोक कलाओं,लोक संगीतऔर वाद्यों के संरक्षण,लुप्त हो रही कलाओं की खोज आदि के लिए बेजोड़ एवं अविस्मरणीय काम किया था।

जन शिक्षण का प्रेरक सन्देश देता था भजन में छुपा गूढ़ रहस्य (History And Importance Of Makar Sankranti)

वागड़ में लोक गायकी के सिद्धहस्त और अपने फन के जादूगर जोगी लोक गायक श्रवण कुमार की गाथा के साथ ही भृतहरि की कथा से जुड़े भजन भी गाते थे। इन लोक गायकों द्वारा अपने परम्परागत वाद्य यन्त्रों पर गाई जाने वाली श्रवण कुमार की कथा के हंय के राजा पेला जमाना बेटे कावेड़े, हंय के राजा आना जमाना बेटा गाबेड़े… वाले मार्मिक भजन में छुपा गूढ़ रहस्य समाज में एक नई जागृति पैदा करने और जन शिक्षण का प्रेरक सन्देश देता था। इस भजन का अर्थ है कि हे राजा !

किसी जमाने में श्रवण कुमार जैसे मातृ-पितृ भक्त पुत्र अपने अन्धे माता-पिता को कावड़ में बैठा कर तीर्थाटन पर ले जाते थे, लेकिन आज के बेटे अपने निहित स्वार्थों के कारण उनका गला दबा कर उनका घोर अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। यह कावड कथा हकरत (सकरात) से एक पखवाड़ा पहले शुरू होती थी। डूंगरपुर के जोगी समुदाय का एक समूह मध्यरात्रि में शहर के गली-कुंचों एवं मुख्य मार्गों की परिक्रमा करते हुए अपने तम्बूरे की झंकृत धुन के साथ श्रवणकुमार एवं अन्य लोकगाथाएं गाते और सुनाते थे, जिसे सुन लोगों के मन में एक दारुण और कारुणिक भाव उत्पन्न होता था।

(History And Importance Of Makar Sankranti)

वैदिक और पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने अनजाने में, एक सरोवर में अपने अंधे माता-पिता के लिए पानी लेने गए श्रवणकुमार के बर्तन में पानी भरने की आवाज को किसी जंगली जानवर के पानी पीने की आवाज समझ कर उन पर एक शब्दभेदी बाण चला दिया था जिससे श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी। श्रवण कुमार उन दिनों अपने अंधे माता-पिता को कावड़ में बैठा कर तीर्थ यात्रा पर ले जा रहें थे। बाण चलने के उपरांत किसी मानव की चित्कार सुनने पर जब दशरथ सरोवर के पास पहुंचे तो उन्होंने श्रवण कुमार को बाण से छलनी, लहूलुहान और मरणासन्न अवस्था में पाया और वे व्यथा और पश्चाताप से भर उठे।

(History And Importance Of Makar Sankranti)

Happy Makar Sankranti Best Wishes for Facebook and Whatsapp

श्रवण कुमार ने घायल अवस्था में दशरथ को बताया कि उसके अंधे माता-पिता जंगल में प्यास से तड़प रहे हैं और वह घड़े में पानी ले जा कर उनकी प्यास बुझाएं। दशरथ जल लेकर श्रवण कुमार के माता-पिता के पास पहुँचें और उन्होंने अनजाने में श्रवण कुमार के उनके तीर से मारे जाने की दु:खद खबर उन्हें दी। साथ ही दोनों के समक्ष बहुत पश्चाताप किया लेकिन श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता ने दु:ख से व्याकुल होते हुए उनके खूनी हाथों से जल ग्रहण करने से इंकार कर दिया और व्यथित हो कर बेटे के विरह में अपने प्राण त्याग दिए।

मरते समय उन्होंने दशरथ को श्राप दिया कि जिस तरह वे अपने बेटे के वियोग से दु:खी हो कर आज अपने प्राण त्याग रहे हैं,उसी तरह एक दिन दशरथ भी अपने बेटे के वियोग से दु:खी होकर अपने प्राण त्यागेंगे। कालांतर में भगवान रामचंद्र के राज सिंहासन के वक्त दशरथ की रानी कैकयी द्वारा अपने पुत्र भरत के लिए राज सिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास वरदान माँगने के पश्चात राम-सीता और लक्ष्मण के वन गमन के बाद राजा दशरथ ने उनके वियोग में अपने प्राण त्याग दिए थे।

जोगी पन्द्रह दिनों तक लगातार लोककथा गाते हुए भ्रमण करते थे (History And Importance Of Makar Sankranti)

डूंगरपुर की सड़कों और गलियों में श्रवण कुमार की इस दु:खद और दारुण लोककथा को मार्मिक गीत में ढाल यह जोगी पन्द्रह दिनों तक लगातार लोककथा गाते हुए भ्रमण करते थे, जिसके बदले में लोग उन्हें भिक्षाटन के रूप में अन्नधान,गेहूं,चावल और आटा,दालें आदि देते थे। जोगियों की नगर के मोहल्ले और निकटवर्ती गाँवों में होने वाली यह फेरी हकरत के दिन समाप्त हो जाती थी। दरअसल, पहले जोगी समाज के लोगों का जीवन निर्वहन लोकगायकी की इस परम्परा से होता था।

Magh Makar Sankranti 2022

मकर सक्रांति पर डूंगरपुर के तात्कालिक शासक महारावल और नगरवासी उन्हें अनाज,कपड़े और तिल-मूँगफली और सर्दी के मावे आदि से बनी सामग्री प्रदान कर उपकृत करते थे। वहीं किसान वर्ग उन्हें अपने खलियानों में खड़ी फसलों के धान में से वर्ष पर्यन्त गुजारा लायक धान प्रदान करते थे।

जिस प्रकार देश-विदेश में यह त्यौहार खुशी और उल्लासपूर्ण मनाया जाता है,वहीं वागड़ के बाशिंदे मकर सक्रांति (हकरत) को वियोग, दु:ख और शोक के पर्व के रुप में भी मनाते है। आदिवासी भील बहुल वागड़ क्षेत्र में मावजी महाराज, संतसूरमल दास, गोविन्द गुरु, गलालेंग, गवरी आदि कई कालजयी महान हस्तियाँ हुई हैं जिन्होंने धर्म और भक्ति,आध्यात्मिकता एवं प्रेरणा के रस और सांस्कृतिक चेतना फैलाने के साथ ही सामाजिक जागृति तथा देश प्रेम की भावना को बलवती बनाने में अपना अतुल्य योगदान दिया।

130 वर्षों पुरानी चौपड़ा वाचन की परम्परा (History And Importance Of Makar Sankranti)

Makar Sankranti 2022 Health Wishes

मकर संक्रांति पर वागड़ के बांसवाड़ा जिले की घाटोल पंचायत समिति के भूंगड़ा गाँव में मावजी महाराज की भविष्यवाणियों संबंधी चौपड़ा का वाचन करने की परम्परा पिछलें 130 वर्षों से चल रही है। इसके आधार पर आदिवासी बहुल इस अंचल के किसान फसल पैदावार के लिए बुवाई,सिंचाई और अनाज संग्रहण आदि कार्यों को लेकर अपनी तैयारियाँ करते हैं। साथ ही संक्रांति के वाहन,पात्र,शस्त्र के आधार पर राजनीतिक, सामाजिक,प्राकृतिक बदलाव, वनों, पशुओं की स्थिति सूखा,अकाल-सकाल आदि के बारे में भी पूवार्नुमान लगाते हैं ।

दान-पुण्य और तिल व्यंजनों की परम्परा (History And Importance Of Makar Sankranti)

मकर संक्रांति के दिन यहाँ दिन हीन गरीबों,जोगियों और ब्राह्मणों आदि को दिल खोल कर दान पुण्य करने की परम्परा है। साथ ही गायों और अन्य पशु पक्षियों को हरा चारा और गुड़,तिल-लड्डू आदि खिलाया जाता हैं। सूर्योदय के साथ ही भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर विधि-विधान के साथ उनकी पूजा-अर्चना कर खुशहाली की कामना की जाती है।

महिलाओं द्वारा सूर्य भगवान को खींच पकवान, तिल-गुड से बने व्यंजनों,खिचड़ी आदि का भोग लगाया और कुंवारी कन्याओं को भोज कराया जाता हैं। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़ कर प्राप्त होता है। साथ ही शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है। जैसा कि श्लोक में कहा गया हैकि ह्लमाघे मासे महादेव: यो दास्यतिघृतकम्बलम।स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति।

Makar Sankranti 2022 Wishes in Hindi

सुहागन महिलाएँ देती है सास को उपहार (History And Importance Of Makar Sankranti)

राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएँ अपनी सास को उपहार (वायना) देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही कोई भी सौभाग्यसूचक वस्तु चौदह की संख्या में पूजन एवं संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं।

पतंगबाजी और गेन्द खेलने की परम्परा की परम्परा (History And Importance Of Makar Sankranti)

मकर संक्रांति का पर्व केवल दान-पुण्य के लिए नहीं जाना जाता,बल्कि इस दिन और इसके पूर्व और पश्चात हर दिन पतंग उड़ाने तथा गाँवों में गीड़ा डोट (गेन्द) खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। निकटवर्ती गुजरात की तरह वागड़ में भी पतंग उड़ाना इस त्यौहार की एक आवश्यक रस्म है। बच्चे हों या युवा और वृद्घ हर कोई पतंग उड़ाने के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। सुबह से ही आसमान में चारों ओर रंग-बिरंगी पतंगें छा जाती हैं।

Makar Sankranti 2022 Wishes for Boss

कई जगहों पर पतंगोत्सव का भव्य आयोजन और प्रतियोगिताएं भी होती हैं। हमारे समाज के जनार्दन जी दीक्षित पतंग चैंपियन माने जाते थे जिनके आगे कोई पतंग नहीं टिकती थी, लेकिन हमारे पड़ौसी गटु भाई उनकी पतंग का शिकार करने का कोई मौका नहीं चुकते थे एवं सवेरे से ही नगर की ऐतिहासिक धन माता और काली माता की तलहटी में अपनी छत पर इस इन्तजार में पतंग उड़ाते थे।

सक्रांति पर लोग दिन भर पतंग के पेचों के साथ ह्यये काटा, ह्यवो काटा के शोरगुल के मध्य पतंगबाजी का आनंद उठाते हैं। हर जगह छतों पर पतंग उड़ाने वाले युवकों की टोलियां ही नजर आती हैं लेकिन बचपन में हुई एक दुर्घटना हमारे पड़ौसी और पतंग बाजी में सिद्धहस्त हरिहर भाई सुथार के बड़े भाई की पतंग उड़ाते हुए छत से गिरने से हुई दु:खद मृत्यु का स्मरण कर आज भी सभी को शोक ग्रस्त कर देती है।

मकर सक्रांति का वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक महत्व (History And Importance Of Makar Sankranti)

मकर संक्रान्ति भारत का प्रमुख पर्व है जोकि सूर्य देवता की उपासना से जुड़ा हुआ है। इस दिन सूर्य का रथ दक्षिणांचल की अग्रसर होता है। मकर सक्रांति के दिन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के विविध रूपों के दर्शन और झलक देखने मिलती है। यह पवित्र पर्व एशिया के संपूर्ण भारतीय उप-महाद्वीप और अन्य कई देशों में भी उत्साह पूर्वक, गहन सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व के साथ मनाया जाता है।

पंजाब में इसे लोहड़ी और आंध्र प्रदेश में भोगी के नाम से जाना जाता है (History And Importance Of Makar Sankranti)

ऋतुओं के संधिकाल- शीत ऋतु के समापन और वसंत ऋतु के आगमन से जुड़े इस पर्व को भारत के विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। पंजाब में इसे लोहड़ी और आंध्र प्रदेश में भोगी (दोनों ही मकर संक्रांति के पूर्व दिवस पर मनाए जाते हैं), गुजरात में उत्तरायण, तमिलनाडु में थाई पोंगल, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में माघी, मध्य भारत में सकरात, असम में माघबिहू, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, मिथिला में तिलसंक्रांति, बंगलादेश में संगक्रांति, पाकिस्तान (सिंध) में तिरमूरी आदि नाम से पुकारा जाता हैं। किसानों द्वारा फसलें काटने के बाद मनाये जाने वाले इस उल्लासपूर्ण त्यौहार पर संपूर्ण भारत में तिल, मुंगफली, मुरमूरे और गुड़ आदि से अनेक स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।

Makar Sankranti 2022 Wishes to Employees

हिन्दू कलेंडर के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में आता है (History And Importance Of Makar Sankranti)

हिन्दू कलेंडर के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में आता है तब इस पर्व को मनाया जाता है। यह प्राय: जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन आता है। सौर मंडल में इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं।

चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क और मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक माना जाता है। यह संक्रमण क्रिया छह-छह माह के अन्तराल पर होती है। भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है।

Makar Sankranti 2022 Inspirational Quotes

मकर संक्रान्ति पर गंगा स्नान को अत्यन्त माना गया है शुभ (History And Importance Of Makar Sankranti)

यह भी बताया जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि केआश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगा स्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है।

(History And Importance Of Makar Sankranti)

Read Also: Makar Sankranti Shayari Status Quotes in Hindi इस तरह करें अपनों को विश

Read Also: Magh Makar Sankranti 2022 माघ मकर संक्रान्ति 14 जनवरी, शुक्रवार को

Read Also: Makar Sankranti 2022 Inspirational Quotes

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

शिमला में बने 150 साल पहले बर्फ के कुएं विलुप्त के कगार पर, जानें पूरी कहानी
शिमला में बने 150 साल पहले बर्फ के कुएं विलुप्त के कगार पर, जानें पूरी कहानी
Look Back 2024: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप बने बादशाह, कमला हैरिस को मिली करारी हार
Look Back 2024: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप बने बादशाह, कमला हैरिस को मिली करारी हार
BJP के टिकट की उम्मीद कर रहे नेताओं की बढ़ेगी धड़कन, किन नेताओं को मिलेगी प्रमुखता?
BJP के टिकट की उम्मीद कर रहे नेताओं की बढ़ेगी धड़कन, किन नेताओं को मिलेगी प्रमुखता?
राम, कृष्ण और बुद्ध की परंपरा से चलेगा भारत, बाबर और औरंगजेब से नहीं: CM योगी आदित्यनाथ
राम, कृष्ण और बुद्ध की परंपरा से चलेगा भारत, बाबर और औरंगजेब से नहीं: CM योगी आदित्यनाथ
शिमला में भजन गा रहे व्यकित पर हमला, हथियार से उतारा मौत के घाट
शिमला में भजन गा रहे व्यकित पर हमला, हथियार से उतारा मौत के घाट
Delhi Air Pollution: जहरीली हुई राजधानी दिल्ली की हवा, ग्रैप के चलते 5वीं तक हाइब्रिड मोड में चलेंगी कक्षाएं
Delhi Air Pollution: जहरीली हुई राजधानी दिल्ली की हवा, ग्रैप के चलते 5वीं तक हाइब्रिड मोड में चलेंगी कक्षाएं
सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उठाया छात्रवृति का मामला, अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दिए 3 अहम सवालों के जवाब
सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उठाया छात्रवृति का मामला, अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दिए 3 अहम सवालों के जवाब
UP में गन्ने के खेत में मिला 6 महीने से लपाता युवक का कंकाल,  जांच में जुटी पुलिस
UP में गन्ने के खेत में मिला 6 महीने से लपाता युवक का कंकाल, जांच में जुटी पुलिस
CM योगी के निर्देश पर एआई चैटबॉट का किया जा रहा डिजिटल प्रचार, क्यूआर स्कैन करिए और पाइए फोटो सहित महाकुम्भ का प्रमाण पत्र
CM योगी के निर्देश पर एआई चैटबॉट का किया जा रहा डिजिटल प्रचार, क्यूआर स्कैन करिए और पाइए फोटो सहित महाकुम्भ का प्रमाण पत्र
दिल्ली में सपा नहीं उतारेगी उम्मीदवार, AAP के लिए क्या कुछ कहा?
दिल्ली में सपा नहीं उतारेगी उम्मीदवार, AAP के लिए क्या कुछ कहा?
50 की उम्र में भी 25 लगती हैं बॉलीबुड की ये हसीना, जानें कैसे मैंटेन करती हैं फिगर?
50 की उम्र में भी 25 लगती हैं बॉलीबुड की ये हसीना, जानें कैसे मैंटेन करती हैं फिगर?
ADVERTISEMENT