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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
तालिबान ने कहा था कि वह तालिबानी सरकार (Taliban Government) बनते ही महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करेगा, लेकिन ऐसा हकीकत में नहीं हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की प्रमुख मिशेल बाचेलेत (Michelle Bachelet) ने कहा है कि तालिबान (Taliban) ने महिलाओं के मामले में अपने वादों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने मानवाधिकार परिषद को बताया कि तालिबान के कब्जे के बाद उसके द्वारा की गई बातों से जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। तालिबान के शासन (Taliban Government) में महिलाएं, अल्पसंख्यक, जातीय और धार्मिक समुदाय अपने अधिकारों के प्रति चिंतित हैं। पिछले तीन सप्ताह के तालिबान के कार्य निराश करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि तालिबान ने पूर्व सुरक्षा अधिकारियों और कर्मचारियों को आम माफी के वादे को भी पूरा नहीं किया है।
कामकाजी महिलाओं को अब घर में ही रहने का फरमान दिया जा रहा है। पूर्व की सरकार में नौकरी कर रही महिलाओं को अब तालिबान काम पर लौटने से जबरन रोक रहा है। भारत से विधि स्नातक शगुफा नाजिबी ने बताया कि वह दस साल से अफगान संसद में काम कर रही हैं। जब वह काम पर लौटीं तो उन्हें डरा-धमकाकर वापस लौटा दिया गया। अफगान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पांच हजार से ज्यादा महिलाएं तो मिलिट्री सेक्टर में ही काम करती हैं। अब महिलाएं यहां सरकार से वापसी का अधिकार मांग रही हैं।
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कंधार में एक महिला डॉक्टर के घर में घुसकर तालिबान ने जबर्दस्त तोड़फोड़ की, महिला और उसके परिवार को कई घंटे तक यातना दीं। बाद में उसके परिवार के चार सदस्यों और एक पड़ोसी को उठा ले गए। एक अन्य घटना में महिलाओं के प्रदर्शन में भाग लेने पर एक कार्यकर्ता की बेरहमी से पिटाई की, उस पर कोड़े बरसाए। कंधार की रहने वाली महिला डॉक्टर फाहिमा रहमती शहर की बड़ी डॉक्टर और अधिकार कार्यकर्ता हैं। वह चैरिटी के लिए होप फाउंडेशन संस्था चलाती हैं। इस संस्था के माध्यम से वह गरीब लोगों की मदद करती हैं। इनके घर में अचानक तालिबान ने धावा बोल दिया। घटना के संबंध में एक अधिकार कार्यकर्ता ने वीडियो वायरल किया है।
इधर काबुल में महिलाओं के प्रदर्शन में भाग लेने पर एक अधिकार कार्यकर्ता हबीबुल्लाह फरजाद पर तालिबान ने कोड़े बरसाए और उसे मार-मारकर लहूलुहान कर दिया। अफगानिस्तान में तालिबान अब अधिकार कार्यकतार्ओं पर कहर बरपा रहा है। फरजाद ने बताया कि तालिबान ने मुझे कमरे में बंद कर कोड़े बरसाए और मरणासन्न समझकर पटक गए। इसके पहले एक महिला अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सायरा सलीम के साथ भी तालिबान ने बुरी तरह मारपीट की थी।
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