संबंधित खबरें
देह व्यापार के रैकेट का दिल्ली पुलिस ने किया भंडाफोड़, 2 महिलाओं को चंगुल से निकाला
दिल्ली के रामलीला मैदान में बढ़ाई गई सुरक्षा, मौलाना तौकीर रजा ने एक बड़े प्रदर्शन का किया है ऐलान
दिल्ली पुलिस कांस्टेबल किरणपाल की हत्या में मिली बड़ी सफलता, आरोपी रॉकी की पुलिस मुठभेड़ में मौत
Delhi Today AQI: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटनें के लिए DPCC ने उठया नया कदम, ड्रोन से रखी जाएगी नजर
Delhi Weather Update: मौसम का बदलता मिजाज, ठंडी हवाओं से बढ़ेगी ठंडक
'जनता को पसंद आया …', पंजाब उपचुनाव के नतीजों को केजरीवाल ने बताया दिल्ली चुनाव का सेमीफाइनल; किया ये बड़ा दावा
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Center vs Delhi Goverment : सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई है। याचिका में यह मांग की गई है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को किसे नियंत्रित करना चाहिए। इस याचिका पर तीन मार्च को सुनवाई होगी।
दिल्ली सरकार की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले को शीर्ष अदालत के सामने तत्काल सुनवाई की मांग की थी। चीफ जस्टिस, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने 3 मार्च को मामले की सुनवाई पर सहमति व्यक्त की है। शीर्ष अदालत के दो जजों की खंडपीठ ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर जीएनसीटीडी और केंद्र सरकार के अधिकारों से सवाल पर 14 फरवरी 2019 को विभाजित फैसला सुनाया था।
इसके बाद इस मामले को उन्होंने तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार के पास सभी प्रशासनिक सेवाओं का कोई अधिकार नहीं है। जज एके सीकरी ने कहा था कि ब्यूरोक्रेसी के शीर्ष क्षेत्रों में अधिकारियों का ट्रांसफर या फिर उनकी पोस्टिंग केवल केंद्र सरकार कर सकती है।
इसके अलावा अन्य ब्यूरोक्रेट्स से संबंधित मामलों में मतभेद की स्थिति में लेफ्टिनेंट गवर्नर का फैसला मान्य होगा। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से चल रहे टकराव के मामले से संबंधित 6 मामलों पर सुनवाई कर रही दो जजों की बेंच ने सेवाओं पर नियंत्रण के मामले को छोड़कर बाकी 5 मुद्दों पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था।
साल 2014 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद राजधानी के शासन में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर संघर्ष देखा गया है। दिल्ली सरकार का वर्तमान राज्यपाल के साथ और उनके पहले भी मतभेद रहा है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने फरवरी 2019 के फैसले से पहले 4 जुलाई 2018 को दिल्ली के शासन के लिए व्पापक पैमाने तय किए थे।
इस ऐतिहासिक फैसले में कहा गया था कि दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। लेकिन उपराज्यपाल के अधिकारों को यह कहते हुए कम कर दिया गया था कि उनके पास ‘स्वतंत्र निर्णय लेने की ताकत’ नहीं है। उन्हें चुनी गई सरकार की सहायता और सलाह पर ही काम करना है।
इस फैसले ने उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र को जमीन, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मामलों तक ही सीमित कर दिया था। अन्य सभी मामलों पर यह माना था कि एलजी को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करना होगा।Center Vs Delhi Government
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.