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Ayurvedic Treatment for Diabetes : अगर आपको डायबिटीज है। तो घबराना नहीं है आप इन चीजों का सेवन कर सकते है जिसके खाने से आपका शुगर लेवल भी नियंत्रण रहेगा और हेल्थ भी ठीक रहेगी। लेकिन आपको इन चीजों का सेवन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करते रहना है।
एक हेल्दी खाने की योजना का हिस्सा हों और अधिक मात्रा में न हों। साथ ही कई ऐसे कारक हैं जो डायबिटीज के विकास को प्रभावित करते हैं जिसमें आनुवंशिकी और लाइफस्टाइल शामिल हैं। आज हम आपको उन चीजों के बारे में बताएंगे जो डायबिटीज में भी खा सकते हो।(Ayurvedic Treatment for Diabetes)
जामुन या काले बेर में ग्लाइकोसाइड होता है जो रक्त शर्करा के स्तर पर रोक लगाने में मदद करता है। यह मधुमेह के लिए एक शक्तिशाली जड़ी बूटी के रूप में कार्य करता है और चीनी को ऊर्जा में परिवर्तित करके मधुमेह के प्रभाव को ख़त्म करता है। तो जल्दी से अपने रसोई घर की ओर जाएँ और जामुन के बीजों को पीसकर एक महीन पाउडर बनाएं और दैनिक रूप से 3 ग्राम पाउडर में के साथ दो बार लें।
हर सुबह खाली पेट एक कप करेला का रस पीने से शर्करा के स्तर को कम करने में मदद मिलती है और लगातार पेशाब से राहत भी मिलती है। इसमे एक सक्रिय घटक है जिसे चरन्तिन कहते हैं जो सबसे अधिक प्रभावी रूप से रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। आप इसके बीज को बाहर निकालकर एक महीन करेला पाउडर बनाकर दैनिक रूप से इसका उपभोग भी कर सकते हैं।
शिलाजीत रक्त में ग्लूकोज़ को जमा होने से रोकता है और स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। यही कारण है कि यह ‘मधुमेह विनाशक के रूप में भी जाना जाता है। यह अग्न्याशय के कामकाज और इंसुलिन के स्राव को बढ़ावा देने में मदद करता है और बाहरी इंसुलिन पर निर्भरता कम करने में भी सहायक है।
यह मधुमेह तंत्रिकाविकृति में उपयोगी है और यह मधुमेह की वजह से थकान पर काबू पाने में भी मदद करता है। आप दैनिक रूप से 100ग्राम शिलाजीत चूर्ण का उपभोग कर सकते हैं।
हल्दी अपनी शक्तिशाली चिकित्सा शक्तियों के लिए जानी जाती है और हर किसी के रसोई घर में इसका अपना विशेष स्थान है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करती है और मधुमेह के मूल कारणों को हल करने में भी मदद करती है। प्रभावी और जल्दी परिणाम के लिए आँवला और हल्दी को मिला सकते हैं। बस आप अपने आहार में हल्दी की 2-3 ग्राम खुराक शामिल करे और इसके लाभ का आनंद लें।
नीम के पत्ते औषधीय मूल्य से भरे हुए हैं और ये आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं। नीम कफ दोष का संतुलन बनाए रखता है और इंसुलिन अर्क पर निर्भरता को कम करता है। वैदिक और पारंपरिक स्वास्थ्य से संबंधित शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि नीम मधुमेह की हालत में सुधार करता है।
यह न केवल शरीर में शर्करा के स्तर को कम करता है, बल्कि रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाकर हृदय विकार जैसी जटिलताओं को रोकने में भी मदद करता है। आप नीम के 4-5 पत्ते चबा सकते हैं या इनका रस भी पी सकते हैं।
मेथी के बीज में ट्राइगोनैलीन और अल्कालॉयड होते हैं जो रक्त से अधिक मूत्र बाहर कर रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सहायक हैं। यह पाचन और कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण की प्रक्रिया को भी धीमा करते हैं और शरीर के शर्करा या ग्लूकोज़ के इस्तेमाल करने के तरीके में सुधार लाते हैं। मेथी के बीजों को पीसकर एक महीन पाउडर बनाएं और रोज़ सुबह एक चम्मच का सेवन करें।
आप इसकी चाय भी पी सकते हैं या इसे अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं। लेकिन आपको इसके उपयोग से बचना चाहिए जब आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे हों, गर्भवती हों या बच्चे को जन्म दिया हो। दूसरों के लिए वैसे यह सुरक्षित है पर 6 महीने से अधिक इसके उपयोग से बचना चाहिए।
Ayurvedic Treatment for Diabetes
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