संबंधित खबरें
Delhi Railway News: ट्रेन यात्रियों के लिए बड़ी खबर, कोहरे के कारण इतने दिन तक बंद रहेंगी दिल्ली-हरियाणा की 6 ईएमयू ट्रेनें
UP By-Election Results 2024 live: यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग जारी, नसीम सोलंकी की जीत तय
Bihar Bypolls Result 2024 Live: बिहार की 4 सीटों पर मतगणना शुरू! सुरक्षा पर प्रशासन की कड़ी निगरानी
Maharashtra-Jharkhand Election Result Live: महाराष्ट्र में महायुति तो झारखंड में JMM गठबंधन सरकार बनाने की तरफ अग्रसर, जानें कौन कितने सीट पर आगे
मातम में बदलीं खुशियां, नाचते- नाचते ऐसा क्या हुआ शादी से पहले उठी…
नाइजीरिया में क्यों पीएम मोदी को दी गई 'चाबी'? क्या है इसका महत्व, तस्वीरें हो रही वायरल
इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
Massive Comeback Of BJP In UP: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) में भाजपा (BJP) को मिले प्रचंड बहुमत (majority) ने साबित कर दिया है कि भाजपा सरकार (BJP government) को मतदाताओं ने किसान, कामगार, कानून-व्यवस्था और कोविड मैनेजमेंट में पास कर दिया है। इसके साथ ही यूपी के का बा का जबाब बाबा यानी योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के रूप में दिया है। महंगाई और बेरोजगारी का जनता ने चुनाव का मुद्दा माना ही नहीं।
भााजपा सरकारों का राशन और शासन भी मतदाताओं पर अपना असर छोड़ने में कामयाब रहा। इसके साथ ही यह चुनाव भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग पर मुहर लगाने वाला भी साबित हुआ और साथ ही सपा-रालोद की सोशल इंजीनियरिंग भी भाजपा की रणनीति के आगे परबान चढ़ने से पहले ही ठीक उसी तरह फ्लॉप हो गई जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस के गठबंधन की हुई थी।
माना जा रहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन (kisaan aandolan) अपना प्रभाव जरूर दिखाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि मतदाताओं ने सपा और रालोद गठबंधन को कबूल नहीं किया। जाट बाहुल्य इलाकों में इस गठबंधन पर लोगों ने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों का हवाला देते हुए नाखुशी जाहिर भी की थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मतदाता अभी भी मुजफ्फरनगर दंगों में उस समय की सपा सरकार की भूमिका को भुला नहीं पाया है।
उस सरकार में सपा के मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति मतदाताओं को अभी भी डरा रही है। ऐसा नहीं है कि मतदाता महंगाई और बेरोजगारी से तंग नहीं हैं, तंग हैं, लेकिन उन्होंने फिर भी सपा की शर्त पर बदलाव की हिम्मत नहीं की। इसमें आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए कि यदि राष्ट्रीय पश्चिमी उत्तर में केवल अपने दम पर चुनाव लड़ता तो ज्यादा विधायक बनाने में कामयाब हो जाता।
चुनाव के परिणाम इस ओर भी इशारा करते हैं भाजपा किसान आंदोलन से हुए डैमेज को समय के साथ कंट्रोल करने में कामयाब रही। इसमें सरकार की सबसे बड़ी समझदारी यह साबित हुई कि आंदोलन कर रहे किसानों पर बल प्रयोग करने के बजाय सरकार ने तीन नए कृषि कानून वापस लेना बेहतर समझा। कानून- व्यवस्था की जो लचर स्थिति सूबे में 2017 तक थी, आम मतदाता ने कहीं न कहीं उसमें सुधार होने की बात मानी है।
कोविड काल में लोगों के काम छूटे तो सरकार ने मुफ्त राशन उपलब्ध कराकर उस नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया, गरीब तबके के मतदाता ने चुनाव के रूप में अपना फैसला सुनाकर इस बात को माना है। सियासी जानकार मानते हैं कि इस चुनाव में बसपा सूबे में सरकार बनाने के जज्बे के साथ नहीं लड़ी, इसका भी सीधा फायदा भाजपा को मिला। कहीं न कहीं भाजपा को एंटी इनकमबेंसी के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई हाथी की सुस्त चाल ने पूरी करने का काम किया है।
Also Read : Punjab Assembly Election Result 2022 केजरीवाल ने फोटो शेयर कर दी बधाई
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.