Paush Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत पवित्र माना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने और संतान सुख प्राप्त करने के लिए बहुत फलदायी होता है.
एकादशी का व्रत बहुत पवित्र होता है और इसमें सख्त नियम होते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो कभी नहीं करनी चाहिए. अगर आप एकादशी के इन नियमों को नजरअंदाज करते हैं, तो आपको व्रत का पूरा फल नहीं मिलेगा. आइए जानते हैं कि पौष पुत्रदा एकादशी (2025) पर आपको क्या नहीं करना चाहिए.
तुलसी के पत्ते तोड़ना
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही उन्हें छूना चाहिए. तुलसी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन वह भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. उनके पत्ते छूना या तोड़ना उनके व्रत को तोड़ने के बराबर माना जाता है. इसलिए, पूजा के लिए तुलसी के पत्ते एक दिन पहले ही तोड़ लें.
चावल खाना
एकादशी के दिन कभी भी चावल नहीं खाने चाहिए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति पाप का भागी बनता है. चावल केवल व्रत तोड़ने के दिन, यानी अगले दिन द्वादशी को ही खाने चाहिए.
तामसिक भोजन करना
एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांस या शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. यहां तक कि परिवार के जो सदस्य व्रत नहीं रख रहे हैं, उन्हें भी इस दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए. कहा जाता है कि यह भोजन अशुद्ध होता है और पूजा की पवित्रता को नष्ट कर देता है.
दिन में सोना
एकादशी के दिन सूर्योदय के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, दिन में सोने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है. इस दिन रात को जागना बहुत शुभ माना जाता है.
झूठ बोलना
इस दिन झूठ बोलने, कड़वे शब्द बोलने और बहस करने से बचना चाहिए. एकादशी का व्रत न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और वाचिक रूप से भी रखा जाता है. गुस्सा और नकारात्मकता व्रत के पुण्य फलों को नष्ट कर देते हैं.
कब है पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi 2025 Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर को सुबह 07:51 बजे शुरू होगी. एकादशी तिथि 31 दिसंबर को सुबह 05:00 बजे समाप्त होगी. इसलिए, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 दिसंबर को रखा जाएगा.