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India News (इंडिया न्यूज),Paytm: पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई को लगभग एक महीना होने जा रहा है। दिन-ब-दिन कंपनी की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। आरबीआई ने कंपनी को राहत देते हुए डेडलाइन 15 मार्च तक बढ़ा दी है। लेकिन पेटीएम पर विदेशी कंपनी की राय अलग है, जिससे पेटीएम के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हाल ही में स्विट्जरलैंड के निवेश बैंक और वित्तीय सेवा समूह यूबीएस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आरबीआई और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की मदद से पेटीएम अपने अधिकांश ग्राहक आधार को बचाने में सफल रहेगा। लेकिन, पेटीएम के मर्चेंट और कस्टमर बेस में करीब 20 फीसदी की कमी आ सकती है।
जिसके कारण कंपनी को वित्तीय वर्ष 2025 में संघर्ष करना पड़ सकता है। यूबीएस ने रिपोर्ट में कहा कि वॉलेट कारोबार खत्म होने से कंपनी के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उसे भुगतान और ऋण को स्थिर करने पर पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा। व्यापार।
यूबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक, पेटीएम की सबसे बड़ी समस्या ग्राहकों का भरोसा जीतना होगी। इसके लिए उसे मार्केटिंग पर अपना खर्च बढ़ाना होगा। इससे कंपनी का EBITDA घाटा बढ़ जाएगा। कंपनी के शेयर भी 510 रुपये से 650 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है। कंपनी को अपना प्रदर्शन सुधारने में काफी समय लगने वाला है। निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए कंपनी को कड़ी मेहनत भी करनी पड़ सकती है।
इसके अलावा आरबीआई ने @paytm UPI हैंडल को लेकर भी संदेह दूर किया है। पेटीएम व्यापारियों को अन्य बैंकों में स्थानांतरित किया जाएगा। साथ ही NPCI से मंजूरी मिलने के बाद Paytm थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर के तौर पर भी काम कर सकेगा। PhonePe और Google Pay भी TPAP की तरह काम करते हैं।
यूबीएस की रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि आरबीआई के फैसले का प्रतिकूल असर चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के नतीजों पर साफ दिख सकता है। कंपनी को कुछ स्थायी व्यावसायिक घाटा भी हो सकता है। इसके अलावा पेटीएम की बाजार हिस्सेदारी भी 25 फीसदी तक घट सकती है। इसमें वॉलेट के अलावा व्यापारियों और ग्राहकों को हुआ नुकसान भी शामिल है। कंपनी के लोन कारोबार में भी करीब 14 फीसदी की गिरावट आ सकती है। हालांकि, क्लाउड और कॉमर्स बिजनेस पर उतना बुरा असर नहीं पड़ेगा।
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