होम / दिल्ली / दंगों की कहानी कहती: दिल्ली दंगा

दंगों की कहानी कहती: दिल्ली दंगा

PUBLISHED BY: Mudit Goswami • LAST UPDATED : February 20, 2024, 2:03 pm IST
ADVERTISEMENT
दंगों की कहानी कहती: दिल्ली दंगा

Delhi Riots

India News (इंडिया न्यूज), (रुद्रेश नारायण मिश्र) Delhi Riots: यह कोई नई बात नहीं है जब किसी विशेष समुदाय (मुस्लिम वर्ग) द्वारा दंगा फैलाया जाता है और तब मीडिया एक नए नैरटीव के साथ खड़े होकर चिल्लाने लगती है, नाम बदलने लगती है ताकि उस विशेष समुदाय (मुस्लिम वर्ग) को विशेष सुविधा मिल सके। इतिहास गवाह है कि भारत में लूट खसोट किसने की? किसने यहाँ के मूल निवासी को न केवल लूटा बल्कि उन्हें धर्म परिवर्तन की आड़ में उनपर अत्याचार किए और यह अत्याचार बढ़ते ही रहें। तभी तो महाराणा प्रताप से लेकर शिवाजी तक इन अत्याचारियों से लड़ते रहें। बावजूद इतिहासकारों की अंग्रेजी पौध ने मुस्लिम शासकों को महान से महानतम बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतिहासकारों की अंग्रेजी पौध ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने नैरटीव को गढ़ते गए और हालत यह होने लगा की समाज उसे स्वीकारने भी लगा। परंतु बात यहाँ सत्य की है। आज भी यह नैरटीव गढ़ते जा रहें है चाहे वह विकिपिडिया के माध्यम से हो या तथाकथित स्वयं के यूट्यूब चैनल या पोर्टल से।

दिल्ली दंगा 2020 की कहानी

दिल्ली दंगा 2020 में भी यही होता है। शाहरुख पठान, वह व्यक्ति जो दिल्ली दंगे में एक कांस्टेबल को पॉइंट ज़ीरो से बंदूक उसके सामने तान देता है। उसकी पहचान को लेकर रविश कुमार जैसे उस व्यक्त एनडीटीवी पत्रकार, इस कन्फ़्युजन को पैदा करते हैं की “पुलिस भी अभी पहचान नहीं पाई है की वह अनुराग मिश्रा है या शाहरुख पठान”। एनडीटीवी इंडिया के ऑफिसियल यूट्यूब वेबसाईट पर ‘क्या Ravish Kumar ने गोली चलाने वाले Shah Rukh को Anurag Misra कहा है?’ नाम से एक वीडियो जारी होता है उसमें पुलिस से पूछा जाता है कि वह कौन है? पुलिस कहती है कि उसका नाम शाहरुख है। उसके बाद में भी यह कहा जाता है कि रविश कुमार ने तो यह कहा की पुलिस आप कहती है कि वह शाहरुख है लेकिन सोशल मीडिया पर अनुराग मिश्रा बताया जा रहा है और पुलिस इसके पहचान को लेकर दोबारा बोले। क्या पुलिस की प्रासंगिकता सोशल मीडिया के आगे झूठी हो जाती है? और सोशल मीडिया हावी हो जाता है।

सोशल झूठ को सच और सच को झूठ में बदलते हैं

ऐसी स्थिति तब पैदा होती है जब चंद व्यक्ति इंस्टा, यूट्यूब और संबंधित सोशल रील पर झूठ को सच और सच को झूठ में बदलने लगते हैं। क्या तब भी स्पष्टीकरण नहीं होना चाहिए था? लेकिन नहीं, तथाकथित मीडिया हिंदुओं को अत्याचारी और मुस्लिमों को अत्याचार सहने वाला बताता है। वह दंगे के पीछे के सारे कारण को निगल जाता है और वहीं उगलता है जो उसे गढ़ना है। बिना किसी तथ्य के बार बार चिल्लाने लगता है। क्योंकि यह मीडिया वर्ग हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबल्स से इतना प्रेरित है कि वह जानता है की बार बार चिल्लाने से जनता इस झूठ को स्वीकार तो कर ही लेगी। तभी तो ऐतिहासिक टिप्पणी में भी वह आर्य अनार्य के झूठे संघर्ष को लाकर मुगलों को स्थापित कर देते हैं और उन्हें देश का प्रेरक तत्त्व घोषित कर देते हैं। ऐसे में सवाल वहीं आ जाता है फिर महाराणा प्रताप, शिवाजी, राणा सांगा, गुरुनानक देव, अर्जन देव जैसे गुरुओं और राजाओं ने संघर्ष क्यों किया? इन संघर्षों के बाद अंग्रेजी शासन काल में दंगे क्यों हुए? पहले तलवारों के दम पर मुगलों ने हिंदुओं पर अत्याचार किया।

अंग्रेजों ने भी किया था ये काम

अंग्रेजी शासन काल में 1882 सलेम, तमिलनाडु, 1893 बंबई, 1921 में मालाबार मोपला कांड, 1921 -22 में बंगाल, पंजाब और मुल्तान, 1927 में नागपूर, 1931 कश्मीर, सभी की हालत एक जैसी ही थी। मुस्लिम वर्ग का हिन्दू वर्ग के पर्व त्योहार पर पत्थरबाजी करना उन्हें मारना और धन संपत्ति को क्षति पहुंचाना। आजादी के बाद भी यह सिलसिला चलता रहा। 90 के दौरान तो कश्मीर में न सिर्फ हिंदुओं को खदेड़ा गया बल्कि उन्हें मारा गया, उनके बहन बेटी के साथ गलत किया गया और इतिहास गवाह है कि मूल कश्मीरी अपने देश में ही स्वदेशी शरणार्थी बन कर रह गए। अजमेर का 1992 में क्या हुआ, सभी को पता है। आखिर ऐसा क्यूँ है कि हिन्दू बहुल इलाके के मुस्लिम परिवार आराम से जिंदगी जी लेता है परंतु मुस्लिम बहुल इलाके में एक हिन्दू परिवार पर दबाब डाला जाता है कि उनके तौर तरीके से रहें और इतना दबाब डाला जाता है कि वह उस जगह को छोड़ने को मजबूर हो जाता है।

ऐसे फैलती है संप्रदायिक हिंसा

दिल्ली दंगा भी इससे भिन्न नहीं है मुस्लिमों द्वारा पत्थरबाजी से शुरू होता है और हिंदुओं की दुकाने जलायी जाती है। ताहिर हुसैन (उस समय आम आदमी पार्टी के पार्षद) के छत से पेट्रोल बम बरसाए जाते हैं। साथ में रहने वाले जिन मुस्लिम लोगों को भईया और अंकल से संबोधित किया जाता है वहीं खून के प्यासे हो जाते हैं और मकान दुकान में आग लगा देते है।

ब्रह्मपुरी के नितिन कुमार मोनू उस दिन की घटना को बताते हैं की उस दिन ब्रह्मपुरी के एक नंबर गली से केमिस्ट की दुकान पर अपने पिता विनोद कुमार के साथ बाइक पर दवाई लेने जा रहा था। तभी अचानक एक पत्थर आके बाइक पर लगी। गली खाली था तभी पता नहीं कहाँ से सौ से डेढ़ सौ की संख्या में लोग डंडे पत्थर के साथ आए और मारने लगें। मेरे पापा गुजर गए और मुझे चालीस टांके सर में लगे और बाइक में भी आग लगा दी। नितिन आगे कहते हैं कि इसमें मेरी क्या गलती थी। इसी तरह वीरभान को अज्ञात लोगों द्वारा शिवविहार के पुलिया पर पीछे से गोली मार दी जाती है। उसके पास छोटी सी ड्राइक्लीन की दुकान छोटे बच्चे और परिवार था। परिवार में इकलौते कमाने वाले सिर्फ वीरभान था। कई दर्द की कहानियाँ है जो दिल्ली दंगे के दौरान हुई। यह कहानियाँ वह सच्चाई है जिससे हम मुंह नहीं मोड़ सकते हैं।

 पथराव का शिकार हुए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल

रतन लाल, हेड कॉन्स्टेबल, दिल्ली पुलिस को कौन नहीं जानता। 42 वर्षीय रतन लाल पथराव का शिकार हुआ जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई। घर में मां, पत्नी और तीन बच्चे हैं। बिहार के आरा ज़िले के रहने वाले दीपक को चाकू घोंपकर मार दिया गया। 23 वर्षीय राहुल ठाकुर को उसके घर के सामने साइन में गोली मार दी जाती है। 26 वर्षीय अंकित शर्मा, जो ख़ुफ़िया विभाग में काम करता था। उसे पकड़कर पहले उससे मारपीट की जाती है उसे इतना टॉर्चर करते हैं कि उसकी मौत हो जाती है और फिर उसके लाश को चांदबाग़ के नाले में फेंक दिया जाता है।

कहानी सिर्फ इतनी नहीं है, लोगों के जिंदगी भर की कमाई से बनाई दुकान को जला दिया जाता है, व्यवसाय को बर्बाद कर दिया जाता है। आँखों के सामने संपत्ति को लूट लिया जाता है। और कुछ लोग तो ऐसे भी थे जिनका सबकुछ जला दिया जाता है और पुलिस केस मे उन्हीं का नाम दर्ज हो जाता है। बड़ी विडंबना है। आप किसी के मानसिकता को इस तरह समझ सकते हैं कि जब शाहरुख पठान को तीन साल बाद सशर्त जमानत मिलती है तो विशेष संप्रदाय के लोग खुशियां मनाने लगते हैं उसे जेल से छूटने की शाबाशी मिलती है। समझने वाली बात यह है कि क्या समाज को यह नहीं दिखता है कि यह आरोपी है। शायद नहीं क्योंकि जो समाज बुरहान वाणी और अफ़जल गुरु जैसे आतंकवादियों का गुणगान कर सकता है उसके काम को सही ठहरा सकता है वह शाहरुख पठान और ताहिर हुसैन को गलत कैसे कह सकता है।

ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगा में फंडिंग

जब कोर्ट में यह साबित हो गया कि ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगा को फंड किया। उसके घर से पेट्रोल बम और पत्थर फेंके गए। बाद में की वीडियो और फोटोग्राफ सभी के सामने आया। बावजूद इसके विकिपिडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर ‘2020 दिल्ली दंगे’ में यह स्थापित करने की कोशिश की गई है कि दिल्ली दंगा हिंदुओं द्वारा मुसलमानों पर हमला करने से हुई। इस तरह का नेरेटिव तैयार इसलिए भी किया जाता है ताकि दस पंद्रह साल बाद जो कल नवयुवक होंगे, उनकी स्वीकृति स्वतः बन जाए। गूगल क्रोम सर्च पर जब अफजल गुरु हिन्दी में टाइप करने से भारतीय लेखक आ सकता है तो आप समझ सकते हैं कि किस प्रकार कंटेन्ट से छेड़खानी नहीं बल्कि नए कंटेन्ट को बनाया जा रहा है। इस संदर्भ में भी हम दिल्ली दंगा को देख सकते हैं की आज भी अलग अलग प्लेटफॉर्म पर ऐसे तथ्य को बताया जाता है जिसका सच से संबंध नहीं है। आज लोगों के पास इतना व्यक्त नहीं है कि वह सर्च इंजन के तीसरे चौथे पेज तक जाएं। वह तो पहले पेज पर विकिपिडिया से अपना काम चल लेते हैं। और ऐसे में वह सच्चाई और तथ्य से भी दूर हो जातें हैं।

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

इस बार भी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी दिल्ली की झांकी, रक्षा मंत्रालय ने दी सफाई
इस बार भी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी दिल्ली की झांकी, रक्षा मंत्रालय ने दी सफाई
UP News: शरारती तत्वों ने मंदिर के चबूतरे पर फोड़ा अंडा, पुलिस को ‘शरारती’ की सरगर्मी से तलाश
UP News: शरारती तत्वों ने मंदिर के चबूतरे पर फोड़ा अंडा, पुलिस को ‘शरारती’ की सरगर्मी से तलाश
महिला और अति पिछड़ा वोटरों के साधने की कोशिश,अब JDU बताएगी CM का काम
महिला और अति पिछड़ा वोटरों के साधने की कोशिश,अब JDU बताएगी CM का काम
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कही ये बड़ी बात, अमित शाह पर निशाना साधा
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कही ये बड़ी बात, अमित शाह पर निशाना साधा
हिमाचल प्रदेश में भीषण ठंड का अटैक, 4 जिलों में ऑरेंज अलर्ट
हिमाचल प्रदेश में भीषण ठंड का अटैक, 4 जिलों में ऑरेंज अलर्ट
नाथ संप्रदाय को लेकर क्या बोले CM मोहन यादव, ताजमहल नहीं सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ…
नाथ संप्रदाय को लेकर क्या बोले CM मोहन यादव, ताजमहल नहीं सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ…
UP News: लड़की ने प्यार में मिले धोखे का लिया खौफनाक बदला, काट दिया प्रेमी का प्राइवेट पार्ट
UP News: लड़की ने प्यार में मिले धोखे का लिया खौफनाक बदला, काट दिया प्रेमी का प्राइवेट पार्ट
Delhi: दिल्ली के बुराड़ी में बड़ा हादसा, फैक्ट्री में आग लगने से 5 लोग घायल
Delhi: दिल्ली के बुराड़ी में बड़ा हादसा, फैक्ट्री में आग लगने से 5 लोग घायल
किशनगंज में दीवार गिरने से 3 लोगों की मौत,ताश खेलने के दौरान हुआ हादसा
किशनगंज में दीवार गिरने से 3 लोगों की मौत,ताश खेलने के दौरान हुआ हादसा
Delhi: होटल रूम का दरवाजा खोलते ही मच गई खलबली, दोस्त ने गुरुग्राम में की आत्महत्या
Delhi: होटल रूम का दरवाजा खोलते ही मच गई खलबली, दोस्त ने गुरुग्राम में की आत्महत्या
जयपुर अग्निकांड में घायलों की मदद करने वालों की होगी पहचान, CCTV खंगालने के लिए टीम गठित ; जानिए वजह
जयपुर अग्निकांड में घायलों की मदद करने वालों की होगी पहचान, CCTV खंगालने के लिए टीम गठित ; जानिए वजह
ADVERTISEMENT