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India News (इंडिया न्यूज़), Shakti, Bihar News: बिहार में पुल गिरने का सिलसिला लगातार जारी है। जमुई में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद जिले के सोनो-चुरहेत मुख्य मार्ग पर बना पुल ध्वस्त हो गया। जिसके बाद मुख्यालय से 10 पंचायत का आवागमन प्रभावित हो गया है। पुल के पांच पिलर पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए और पुल का स्लैब जमीन पर बैठ गया। जिसके बाद 10 पंचायत के 24 गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है।
डेढ़ लाख से अधिक लोगों का आवागमन इस पुल के जरिए होता था। पानी के तेज बहाव के कारण शुक्रवार को ही पूल में दरार आनी शुरू हो गई थी और शनिवार सुबह जब लोग सो कर उठे तब उन्होंने देखा कि यह पुल धराशाई हो गया है। इसका निर्माण वर्ष 2011 में कराया गया था, जिसके बाद से नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों के लिए यह पुल काफी जीवनदायनी समझा जाता था।पुल टूटने के बाद अभी उसका स्लैब पूरी तरह से नहीं गिरा है।जिसके बाद लोग जान हथेली पर रखकर अभी भी इस पुल पर यात्रा कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने इसकी जानकारी प्रशासन और पुलिस को दी। जिसके बाद पुलिस के द्वारा माइकिंग करवा कर इस पुल के इस्तेमाल पर रोक लगाई तथा लोगों को आने-जाने से रोकने के लिए पुल के दोनों किनारों पर बैरिकेडिंग भी किया गया। लेकिन इसके बावजूद लोग जान हथेली पर रखकर इस पुल पर आवागमन कर रहे हैं। पुल के नीचे नदी की तेज धार है ऐसे में किसी भी वक्त कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
पुल टूट जाने के कारण लोगों में आक्रोश देखने को मिला। ग्रामीणों ने बताया कि अवैध बालू उत्खनन के कारण फूल टूटा है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पूर्व में 45 दिनों तक पूल को बचाने के लिए आंदोलन भी किया गया था। लेकिन प्रशासन के द्वारा ग्रामीणों पर एफआईआर कर दिया गई है। इसके बाद ग्रामीणों ने डर से अपना आंदोलन को बंद कर दिया। ग्रामीणों ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के द्वारा बालू माफिया के साथ मिलकर बालू उठाव का कार्य किया गया।
जिसके कारण हर दिन दर्जनों ओवरलोड ट्रक पूल से होकर गुजर रहे थे। भारी दबाव और पिलर के 200 मीटर के करीब से बालू उठाने के कारण फुल ध्वस्त हो गया। ग्रामीणों ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले अगर पुल नहीं बना तो हम लोग वोट का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि पुल नहीं तो वोट नहीं।
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