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India News (इंडिया न्यूज़) Caste Survey: सुप्रीम कोर्ट जाति सर्वेक्षण पर सुनवाई के लिए तैयार है । इसकी सुनवाई 6 अक्टूबर को मुकर्रर की गई है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एवीएन भट्टी की पीठ में इस मामले को सूचीबद्ध किया गया है। नीतीश सरकार में 2 अक्टूबर को जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए । सियासी खेल में इसे बड़ा दांव माना जा रहा है ।इस मास्टर स्ट्रोक से नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े नेता के रूप में उभर चुके हैं। सोशल इंजीनियरिंग के उस्ताद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुताबिक यह सर्वेक्षण आम लोगों के लिए नीतियां बनाने, खासतौर पर अति पिछड़े वर्ग के कल्याण के मसले पर जारी किया गया है।
वैसे इस रिपोर्ट के आने के बाद यह विवाद शुरू हो गया है कि यह तो सिर्फ बिहार में जाति की वस्तुस्थिति समझने और इसका ही पता करने , सिर्फ राजनीति फायदा उठाने की कवायद है। नीतीश सरकार को इन जातियों की आर्थिक स्थिति और वर्तमान सामाजिक स्थिति से कोई मतलब नहीं है । सर्वेक्षण जारी करते वक्त इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है । बीते 6 सितंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि भारत में जनगणना करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है और बिहार सरकार को सिर्फ जाति आधारित सर्वेक्षण और संचालन पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है । सर्वदलीय बैठक में बिहार में जनगणना सर्वे रिपोर्ट पर खुलकर बांते हुई।
वैसे सर्वदलीय बैठक में जिस बात को लेकर आशंकाएं थी, ऐसा कुछ नही हुआ। शांति पूर्ण वातावरण में यह बैठक पूरी हुई। 2019 में इस प्रस्ताव के मुहर में पर जो दल उपस्थित थे उन्हे ही बुलाया गया था। इस बैठक में सीएम नीतीश कुमार, बीजेपी से विजय सिन्हा और RJD से तेजस्वी यादव मौजूद थे। ‘हम’ पार्टी से जीतनराम मांझी पहुंचे थे। इस बैठक में राज्य के वित्त मंत्री विजय चौधरी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शकील अहमद, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम और AIMIM से अख्तरुल ईमान भी पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री और तमाम नेताओं के सामने यह बात रखी गई कि इस सर्वे पर कई वर्ग और समुदाय के लोग आंकड़ों के प्रति अविश्वास जता रहे हैं । इन्हें आपत्ति दर्ज करने का मौका दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने इसे लेकर अधिकारियों को कहा है की इनके आपत्तियों को देखें। साथ ही शीतकालीन सत्र तक इस सुलझा लिया जाए।
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