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Birsa Munda Jayanti: कौन थे आदिवासी वर्ग के बिरसा मुंडा? जानिए उनके इतिहास का ये पहलू

BY: Anjali Singh • LAST UPDATED : November 15, 2024, 1:28 pm IST
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Birsa Munda Jayanti: कौन थे आदिवासी वर्ग के बिरसा मुंडा? जानिए उनके इतिहास का  ये पहलू

Birsa Munda Jayanti 2024

India News (इंडिया न्यूज), Birsa Munda Jayanti: बिरसा मुंडा का नाम भारतीय इतिहास में आदिवासी समाज के एक महान योद्धा, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में लिया जाता है। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले में हुआ था। आज के दिन को बिरसा मुंडा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वे मुंडा जनजाति से थे और ब्रिटिश शासन के दौरान अपने समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। बिरसा मुंडा का जीवन और उनका संघर्ष एक प्रेरणा का स्रोत है, खासकर आदिवासी समाज के लिए।

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समाज की समस्याओं पर उठाए आवाज

बताया जाता है कि, बचपन से ही बिरसा मुंडा ने अपने समाज की समस्याओं को देखा और समझा। साथ ही, उन्हें अंग्रेजों के अत्याचार और शोषण के खिलाफ गुस्सा था, जो आदिवासी भूमि, संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को नुकसान पहुँचा रहे थे। अंग्रेजी हुकूमत ने आदिवासियों की जमीनें छीनकर उन्हें मजबूर किया कि वे मजदूरी करें और उनके संसाधनों पर कब्जा जमाया। बिरसा मुंडा ने महसूस किया कि उनके समाज को एकजुट होकर इस अन्याय का विरोध करना चाहिए। इसके बाद, 1895 में बिरसा ने ‘उलगुलान’ नामक एक क्रांति की शुरुआत की, जिसका अर्थ है “महान विद्रोह”। उन्होंने अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ संगठित विद्रोह का आह्वान किया।

ब्रिटिश अधिकारियों को दी कड़ी चुनौती

बिरसा ने आदिवासी समाज को एकजुट किया और ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ एक मजबूत चुनौती पेश की। उनका नारा था – “अबुआ राज सेटर जाना” यानी “हमारा शासन ही सर्वोपरि होगा”। बिरसा मुंडा को एक धार्मिक गुरु और भगवान की तरह पूजा जाने लगा, जिन्हें लोग ‘धरती आबा’ कहते हैं। ऐसे में, बिरसा का संघर्ष और उनका बलिदान उनके समाज के लिए एक महान प्रेरणा बने। उन्होंने 25 साल की छोटी उम्र में 9 जून 1900 को अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन उनका संघर्ष आज भी आदिवासी समाज में प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी जयंती, 15 नवंबर, को राष्ट्रीय आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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