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India News (इंडिया न्यूज़),Caste-based survey in Bihar: पटना हाईकोर्ट द्वारा बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। हाईकोर्ट ने महागठबंधन सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। यह स्वागत योग्य निर्णय है। बता दें मंगलवार को हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसी के साथ बिहार में जाति आधारित सर्वे को हरी झंडी मिल गई है।
#WATCH यह एक ऐतिहासिक फैसला है। हाईकोर्ट ने महागठबंधन सरकार के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। यह स्वागत योग्य निर्णय है। हमारी लड़ाई समाज के पिछड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने की है। जब जाति आधारित सर्वेक्षण होगा, तो स्पष्टता आएगी और उसी आधार पर सरकार योजनाएं बनाएगी और उन तक… pic.twitter.com/A90gf0FzkM
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 1, 2023
तेजस्वी यादव ने कहा,”हमारी लड़ाई समाज के पिछड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने की है। जब जाति आधारित सर्वेक्षण होगा, तो स्पष्टता आएगी और उसी आधार पर सरकार योजनाएं बनाएगी और उन तक सुविधाएं पहुंचाएगी। भाजपा जातिगत जनगणना को रोकना चाहती थी। मैं ऐसा करने के लिए मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू यादव को धन्यवाद देता हूं।”
बता दें नीतीश सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जातीय गणना को लेकर पटना हाई कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया था कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए सभी अपनी जाति बताने को आतुर रहते हैं।
गौरतलब है नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास कराया था। बता दें इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के विरोध का साम ना करना पड़ा।ऐसे में इसे लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। केंद्र का कहना था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है। बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था। इसका काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था।
ये भी पढ़ें – Caste-based survey in Bihar: बिहार में एक बार फिर से शुरू होगा जाति-आधारित सर्वेक्षण
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