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India News(इंडिया न्यूज),Caste Census: बिहार में जातिगत जनगणना (Caste Census) को लेकर बिहार सरकार और केंद्र सरकार के बीच लगातार विवाद चल रहा है। इसके अलावा भी कई सारी बातें समय-समय पर सामने आती रही है। बता दें कि, पटना हाईकोर्ट में इस प्रस्ताव के विरोध में याचिका दायर की गई थी। जहां हाईकोर्ट ने इस प्रस्ताव पर फिलहाल रोक लगा दी थी। जिसके बाद इस प्रस्ताव को लेकर हाईकोर्ट ने अपने बयान को बदल दिया और जातिगत जनगणना को हरी झंडी दिखा दी है। जहां याचिकाकर्ता के द्वारा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बातें भी सामने आ रही है। जहां देखने वाली बात ये होगी कि पटना हाईकोर्ट के इस फैसले का देश के बाकी राज्यों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
जातीय जनगणना(Caste Census) बिहार के लिए अभी सबसे गर्म मुद्दे के तौर पर है। इस मुद्दे पर केंद्र और बिहार सरकार की लड़ाई जरी है तो दूसरी तरफ अब इस मुद्दे पर देश के रणनीतिकार माने जाने वाले प्रशांत किशोर ने भी प्रतिक्रिया दिया है। जनसुराज के सुत्रधार ने कहा है कि, मैं शुरुआती दौर से कहता आ रहा हूं कि सबसे पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से पूछा जाना चाहिए कि इसका कानूनी आधार क्या है?
आज ये आम लोगों को आंख में धूल झोंकने के लिए सर्वे करवा रहे हैं। जातीय जनगणना राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है। इन नेताओं को कोई जातीय जनगणना नहीं करवाना है। बिहार की जनता खुद सोच कर देखे कि नीतीश कुमार इतने लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं इसके बाद भी उन्होंने आज तक जातीय जनगणना क्यों नहीं करवाया? RJD की सरकार थी, लालू यादव खुद 15 साल सरकार में थे, क्यों नहीं करवाया जातीय जनगणना? आज इन्हें ज्ञात हो रहा है? सच्चाई तो यह है कि इलेक्शन आने वाला है और कुछ होता हुआ दिख नहीं रहा है तो बाप-बाप कर रहे हैं।
आग कहते हुए किशोर ने कहा कि, आज ये समाज को बांटने का काम कर रहे हैं इसके अलावा इनकी कोई मंशा नहीं है। पिछले 32 सालों से लालू-नीतीश मुख्यमंत्री हैं उस समय उन्होंने जातीय जनगणना(Caste Census) क्यों नहीं करवाई ? अगर ये राज्य का मामला था तो पहले क्यों नहीं करवाया गया? सच्चाई तो यह है कि वो जातीय जनगणना है ही नहीं वो तो सर्वे है। जातियों की राजनीति करनी है ताकि सारा समाज बंटा रहे, सारा समाज अशिक्षित और अनपढ़ बना रहे, तभी तो 9वीं फेल को आज लोग उपमुख्यमंत्री मानेगा। बिहार के लोगों को समझने की जरूरत है कि अगर गरीब के बच्चे पढ़ लिख जाएंगे तो कौन इन अनपढ़ों को नेता मानेगा?
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