India News(इंडिया न्यूज),Darbhanga Violent Clash: बिहार के दरभंगा में पिछले दो-तीन दिनों से सामुदायक हिंसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। देखा जाए तो कट्टर सोंच के कुछ असमाजिक तत्व के चलते आज दरभंगा जल रहा है। बात केवल दरभंगा शहर की हीं नहीं है शहर के अलावा गांवों में भी अब ये हिंसा फैलने लगी है। जिसके चलते सैकड़ों लोगों को भारी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है।
जानकारी ये सामने आ रही है कि, दरभंगा के शिवधारा स्थित बाजार समिति पर मुहर्रम के झंडे को लेकर दो समुदाय के बीच हिंसा हुई। बात यहीं तक नहीं रूकी इस हिंसे के बाद दरभंगा के एक गांव हरिहरपुर में शमशान के जमीन को लेकर दो समुदायों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई और ये हिंसा केवल यहीं तक नहीं रूकी लगातार फैलती हीं जा रही है। जिसके बाद से सावाल ये खड़ा हो रहा है कि, आखिर इस प्रकार के दंगो का जिम्मेदार कौन है?
विषेश सोच या समुदाय?
(Darbhanga Violent Clash)
दरभंगा में इतने बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है,(Darbhanga Violent Clash) तो जाहीर सी बात है कि, इस मुद्दें पर राजनीति भी उतनी हीं बड़ी होगी। हम ये बात इसलिए कह रहें है कि, अब इस मुद्दें पर लगातार सभी राजनीतिक पार्टियों का आरोप-प्रत्यारोप आने लगे है। जिसके बाद जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने इस हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, RJD जब भी किसी गठबंधन में रहा है या सरकार में रहती है तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ता है। ये हाल हम बिहार में देख रहे हैं कि पिछले चार-पांच महीनों से बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ रही है।
महागठबंधन बना था तब से लोगों के मन में आंशका है कि कानून व्यवस्था बिहार में बिगड़ेगी। कानून व्यवस्था की स्थिति महागठबंधन से पहले भी बहुत अच्छी नहीं थी। दूसरा कारण यह है कि जो यहां का गृह विभाग है, वो मुख्यमंत्री के अधीन है। कहीं न कहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोकस शासन-प्रशासन व्यवस्था पर नहीं है। सीएम अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण लाभ में पड़े हुए हैं। कभी भागकर इधर, तो कभी पलटकर उधर। जब आपका पूरा समय इस पर लगा हुआ है कि कौन सा राजनीतिक जोड़ बनाएं, किसको जोड़ें, किसको हटाएं, कैसे सरकार बचाएं, कैसे कुर्सी बचाएं, तो आपके पास समय कहां हैं कि आप कानून व्यवस्था देखिएगा।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि, बिहार में कानून व्यवस्था बिगड़ने के लिए दूसरी वजह की है “शराबबंदी का कानून”। सरकार द्वारा ये जो शराबबंदी का कानून लागू किया है, इसे लागू करने से सिर्फ शराब की दुकानें बंद हुईं। लेकिन, घर-घर शराब बिक ही रही है। प्रशासन की प्राथमिकता शराबबंदी हो गई है। शराबबंदी लागू करो, शराबबंदी हटाओ, शराबबंदी से कमाओ, शराबबंदी को छुपाओ। जब प्रशासनिक व्यवस्था का पूरा ध्यान शराबबंदी पर ही लगा रहेगा, तो सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी ही।
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